Madhya Pradesh

मध्य प्रदेश में पर्यटन की असीम संभावनाएं : प्रमुख सचिव शुक्ला

6वीं रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव में प्रमुख सचिव, पर्यटन एवं संस्‍कृति शिव शेखर शुक्‍ला

भोपाल, 7 दिसंबर (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश में निवेश को बढ़ाने के उद्देश्य से शनिवार को नर्मदापुरम में आयोजित 6वीं रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव में प्रमुख सचिव, पर्यटन एवं संस्‍कृति शिव शेखर शुक्‍ला ने कहा कि राज्‍य में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं। उन्‍होंने कहा कि यहां पर 14 वर्ल्‍ड हेरीटेज साइट है, धार्मिक पर्यटन के दो प्रमुख केन्‍द्र महाकालेश्‍वर और ओंकारेश्‍वर ज्‍योर्तिलिंग है। साथ ही कई मंदिर स्‍थापित है जो हर साल लाखों-करोडों श्रृद्धालुओं को आकर्षित करते है। राज्‍य में कई नेशनल पार्क और वाइल्‍ड लाइफ सैंक्‍च्युअरी तथा टाइगर रिजर्व हैं।

उन्होंने कहा कि विगत 4 वर्षो में मध्‍य प्रदेश आने वाले पर्यटकों की संख्‍या 2.14 करोड़ से बढकर 11 करोड़ से अधिक हो गई है, वर्ष 2024 में यह आंकड़ा और बढने का अनुमान है। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्‍य सरकार ने वर्ष 2019 में एक समर्पित पर्यटन निवेश नीति लागू की, जो राज्य में निवेशकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इसमें ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में भूमि आवंटन के लिए न्यूनतम दरें तय की गई हैं। इसके अलावा, पूंजी अनुदान, और ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया जैसी सुविधाएँ दी जा रही हैं। प्रमुख सचिव शुक्‍ला ने कहा कि राज्य में निवेश और पर्यटन के बेहतर समन्वय का परिणाम है कि 2016 से अब तक 3850 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित हुआ है।

देश का एकमात्र प्रदेश जहाँ खनिज बहुतायत में उपलब्ध : प्रमुख सचिव उमराव

प्रमुख सचिव खनिज साधन उमाकांत उमराव ने प्रदेश में खनिज की प्रचुर उपलब्धता एवं निवेश की संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मध्य प्रदेश देश का एक मात्र ऐसा प्रदेश है जहाँ विविध प्रकार के खनिज बहुतायत में उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश, खनिज संसाधनों की प्रचुरता और निवेश-अनुकूल नीतियों के कारण, देश में खनन क्षेत्र के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहा है। प्रदेश खनिज उत्पादन में राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी है। मध्य प्रदेश हीरा, कॉपर अयस्क और मैंगनीज के उत्पादन में देश में पहले स्थान पर है। इसके अलावा, चूना पत्थर और रॉक फॉस्फेट जैसे खनिजों में यह दूसरे स्थान पर है। प्रदेश में कोयला, चूना पत्थर, बॉक्साइट, और ग्रेफाइट जैसे खनिजों के समृद्ध भंडार हैं, जो उद्योगों के लिए प्रमुख अवसर प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए, मध्यप्रदेश में 30,916 मिलियन टन कोयले का भंडार और 1,692.4 मिलियन टन चूना पत्थर का भंडार है। प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में खनिजों की उपलब्धता ने इसे निवेशकों के लिए और भी आकर्षक बना दिया है। सतना, रीवा, और सिंगरौली जैसे क्षेत्रों में चूना पत्थर और कोयला प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। बालाघाट में कॉपर और मैंगनीज का भंडार है, जबकि छतरपुर और पन्ना हीरे और रॉक फॉस्फेट के लिए प्रसिद्ध हैं। मध्यप्रदेश की खनिज संपदा, उद्योगों के लिए उत्कृष्ट बुनियादी ढाँचे और निवेश-अनुकूल नीतियों के कारण यह क्षेत्र घरेलू और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के लिए एक आकर्षक स्थल बन गया है।

मध्य प्रदेश में निवेश की असीम संभावनाएँ : प्रमुख सचिव राघवेन्द्र सिंह

औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन तथा एमएसएमई प्रमुख सचिव राघवेन्द्र कुमार सिंह ने प्रदेश में निवेश की संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मध्य प्रदेश देश के औद्योगिक मानचित्र पर तेजी से उभर रहा है। वोल्वो-आयशर जैसी कंपनियों का अहम योगदान है। यह कंपनी, जिसने 1990 में 100 करोड़ रुपये से शुरुआत की थी, आज 7,500 करोड़ रुपये के निवेश तक पहुंच चुकी है। इसके अलावा, राज्य में एमएसएमई क्षेत्र में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वर्तमान में 14 लाख से अधिक एमएसएमई इकाइयां राज्य में कार्यरत हैं, जो लगभग 73 लाख लोगों को रोजगार प्रदान कर रही हैं। स्टार्ट-अप्स के क्षेत्र में भी मध्य प्रदेश ने अपनी अलग पहचान बनाई है। राज्य में 4,600 से अधिक डीपीआईआईटी मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स हैं, जिनमें से 2,200 महिलाओं द्वारा संचालित हैं। प्रदेश में 31 इन्क्यूबेटर्स हैं। प्रदेश में 14 लाख एमएसएमई हैं, जिनमें 73 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है। प्रदेश देश का 7वां सबसे बड़ा एमएसएमई राज्य है। नर्मदापुरम संभाग भी इस क्षेत्र में अग्रसर है। जहां 62 स्टार्ट-अप्स कार्यरत हैं। इनमें नर्मदापुरम जिले के 27 स्टार्ट-अप्स प्रमुख हैं। प्रमुख सचिव उद्योग ने कहा कि नर्मदापुरम संभाग में औद्योगिक विकास के लिए कई क्षेत्र संभावनाओं से भरे हुए हैं। यहां कृषि उपकरण निर्माण, बायो-सीएनजी और एथेनॉल उत्पादन, और वन उत्पाद आधारित उद्योगों के लिए अनुकूल परिस्थितियां मौजूद हैं। नर्मदापुरम् के मोहासा-बाबई का मेगा सौर ऊर्जा पार्क राज्य के हरित औद्योगिकीकरण के प्रयासों का प्रतीक है। नर्मदापुरम संभाग में औद्योगिक क्षेत्रों के विकास को प्राथमिकता दी गई है। यहां आठ औद्योगिक क्षेत्रों का विकास पहले ही हो चुका है, और 156 हेक्टेयर भूमि नए उद्योगों के लिए तैयार है। हरदा, बैतूल और नर्मदापुरम जिलों में स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है।

(Udaipur Kiran) तोमर

Most Popular

To Top