West Bengal

शोकॉज नोटिस का जवाब देने के तुरंत बाद फिर बेलगाम हुए हुमायूं कबीर, कल्याण बनर्जी के बहाने फिर साधा तृणमूल पर निशाना

भरतपुर से विधायक हुमायूं कबीर

कोलकाता, 29 नवंबर (Udaipur Kiran) । तृणमूल कांग्रेस के बागी विधायक हुमायूं कबीर ने पार्टी की अनुशासन समिति द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस का जवाब देते हुए भले ही ‘दुख व्यक्त’ किया हो, लेकिन सार्वजनिक तौर पर वह अपनी तल्ख बयानबाजी से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। गुरुवार को भी उन्होंने तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि उन्हें कारण बताओ नोटिस क्यों नहीं दिया गया।

हुमायूं कबीर, जो मुर्शिदाबाद जिले के भरतपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं, ने कहा कि जब पार्टी के अनुशासन के नाम पर मुझे शोकॉज नोटिस दिया जा सकता है, तो कल्याण बनर्जी को क्यों नहीं? क्या वह अनुशासन से ऊपर हैं? क्या उन्हें तृणमूल की अनुशासन समिति के सामने पेश नहीं होना चाहिए?

हुमायूं ने पार्टी के कुछ नेताओं पर सीधा हमला करते हुए कहा कि तृणमूल छात्र परिषद के अध्यक्ष पर हमला करने के बावजूद कल्याण बनर्जी को किसी तरह की कार्रवाई का सामना नहीं करना पड़ा। हुमायूं ने इसे पार्टी में ‘चयनात्मक अनुशासन’ करार दिया और कहा कि यह दोहरे मापदंड का उदाहरण है।

हुमायूं ने सार्वजनिक मंचों पर कई बार तृणमूल नेतृत्व के खिलाफ बयान दिए हैं, जिससे पार्टी को असहज स्थिति का सामना करना पड़ा। बुधवार को जारी नोटिस के बाद गुरुवार को विधानसभा में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात के दौरान उन्हें नोटिस का जवाब जल्द देने का निर्देश मिला। इसके बाद उन्होंने शुक्रवार को तीन पन्नों का जवाब सौंपते हुए कहा कि उनका इरादा पार्टी को नुकसान पहुंचाने का नहीं था।

हालांकि, इसके बावजूद उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी को कुछ ऐसे लोगों ने घेर रखा है, जिनकी मंशा पर सवाल उठाए जा सकते हैं। ये लोग केवल अपनी जगह बनाए रखने के लिए मुख्यमंत्री को गुमराह कर रहे हैं।

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अभिषेक बनर्जी को डिप्टी सीएम बनाने की मांग

हुमायूं कबीर ने गुरुवार को यह भी कहा कि आने वाले दिनों में मुर्शिदाबाद के हर तृणमूल समर्थक की एक ही मांग होगी कि अभिषेक बनर्जी को डिप्टी सीएम बनाया जाए।

तृणमूल कांग्रेस के लिए हुमायूं कबीर का रवैया लगातार चुनौती बना हुआ है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि हुमायूं का सार्वजनिक रूप से बयान देना और कल्याण बनर्जी जैसे वरिष्ठ नेताओं को निशाना बनाना, पार्टी के अनुशासन पर सवाल खड़े करता है।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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