हेडिंग में संशोधन के साथ पुन: जारी…….
17 अप्रैल (Udaipur Kiran) । हुगली के बालागढ़ और आसपास के इलाकों में गंगा नदी से मिट्टी की तस्करी एक गंभीर समस्या बनी हुई है, जिसका असर स्थानीय लोगों और पर्यावरण पर पड़ रहा है। रामकृष्ण परमहंस के कथन, धन मिट्टी है, मिट्टी धन है, को बालागढ़ के लोग अब दुखद रूप से अनुभव कर रहे हैं, क्योंकि मिट्टी की अवैध तस्करी से उनकी जमीनें और आजीविका खतरे में हैं।
जिले के बालागढ़, मशरा, नाटागढ़, सुंदरपुर, बक्सागोर, एकतारपुर, बकुलिया, धोबापाड़ा, सोमरा, जिरात जैसे क्षेत्रों में माफिया गंगा के तटों से मिट्टी और रेत निकालकर करोड़ों रुपये कमा रहे हैं। यह तस्करी नावों और डंपर ट्रकों के जरिए रात के अंधेरे में हो रही है, जिसे रोकने में प्रशासन नाकाम रहा है।मिट्टी कटाव के कारण गंगा के तटबंध टूट रहे हैं, जिससे सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि के नदी में समाने का खतरा उत्पन्न हो गया है। बालागढ़ ब्लॉक की 13 में से 9 ग्राम पंचायतों में कटाव शुरू हो चुका है, जिससे कई गांवों के नदी में समाने का खतरा मंडरा रहा है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मिट्टी और रेत खनन पर रोक लगाने की चेतावनी देते हुए जिलाधिकारियों को निर्देश दिए थे, लेकिन स्थानीय निवासियों का कहना है कि तस्करी पहले की तरह जारी है। प्रशासन और पुलिस की नाक के नीचे यह गोरखधंधा चल रहा है, जिसमें कुछ स्थानीय नेता और पुलिसकर्मी भी कथित रूप से शामिल हैं।कुछ ठेकेदारों को मिट्टी खनन का सरकारी ठेका मिला है, लेकिन वे तय सीमा से ज्यादा (जैसे 4 फीट की जगह 10-12 फीट) मिट्टी निकाल रहे हैं। गंगा से मिट्टी निकालने का मामला पोर्ट ट्रस्ट के अधिकार क्षेत्र में आता है, जिससे राज्य प्रशासन अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहा है।
स्थानीय किसानों की उपजाऊ जमीन नदी में डूब रही है, जिससे उनकी आजीविका पर संकट है।कटाव के डर से लोग दहशत में जी रहे हैं। सिंचाई विभाग के इंजीनियरों ने चेतावनी दी है कि तस्करी नहीं रोकी गई तो कई पंचायतें नदी में समा सकती हैं।
स्थानीय विधायक मनोरंजन बेपारी भू-माफिया के खिलाफ मुखर रहे हैं और कई बार रात में छापेमारी कर मिट्टी तस्करी की नाव पकड़ी है। उन्होंने आम लोगों से स्थानीय स्तर पर विरोध करने की अपील की है।
वहीं भाजपा नेता सुरेश साव मिट्टी चोरी को पुराना मुद्दा बताते हुए सत्तारूढ़ पार्टी और पुलिस पर रिश्वत लेकर तस्करी को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि पकड़े गए डंपरों को पुलिस छोड़ देती है।वहीं टीएमसी के उपप्रधान अशोक पोद्दार ने दावा किया कि मिट्टी खनन नियमों के तहत हो रहा है, लेकिन अनियमितताओं की जांच के लिए उन्होंने पुलिस और भू-राजस्व विभाग के साथ सहयोग की बात कही।
स्थानीय लोगों की मांग है कि गंगा तटों पर ड्रोन और सीसीटीवी से निगरानी बढ़ाई जाए। माफिया और संलिप्त अधिकारियों पर कठोर कानूनी कार्रवाई हो। मिट्टी खनन के परमिट की नियमित जांच हो और उल्लंघन करने वालों का ठेका रद्द किया जाए। सरकार द्वारा खर्च किए जा रहे अरबों रुपये का उपयोग वैज्ञानिक तरीके से तटबंध मजबूत करने में हो, न कि केवल कागजी योजनाओं में। गंगा से मिट्टी खनन पोर्ट ट्रस्ट के दायरे में आता है, इसलिए केंद्र और राज्य सरकार को मिलकर नीति बनानी चाहिए।
—————
(Udaipur Kiran) / धनंजय पाण्डेय /
—————
(Udaipur Kiran) / संतोष मधुप
