— बिजली क्षेत्र विनियमन में करियर को आगे बढ़ाने की मिलेगी सुविधा
कानपुर, 11 सितम्बर (Udaipur Kiran) । आईआईटी कानपुर ने विद्युत क्षेत्र विनियमन में महिलाओं की भूमिका पर आयोजित नियामक सम्मेलन प्रो. अनूप सिंह ने घोषणा की कि सीईआर अब अपने आगामी रेगुलेटरी सर्टिफिकेशन प्रोग्राम (RCPs) में व्यक्तिगत महिला प्रतिभागियों के लिए अतिरिक्त छूट प्रदान करेगा। ये ऑनलाइन कार्यक्रम लचीलापन प्रदान करने के लिए डिजाइन किए गए हैं, जिससे महिलाओं को अपने ज्ञान के आधार को बढ़ाने और बिजली क्षेत्र विनियमन में अपने करियर को आगे बढ़ाने की सुविधा मिलती है। यह पहल लैंगिक विविधता को बढ़ावा देने और इस क्षेत्र के भीतर महिलाओं के पेशेवर विकास का समर्थन करने के लिए सीईआर की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर में बुधवार को सेंटर फॉर एनर्जी रेगुलेशन (सीईआर) ने ‘विद्युत क्षेत्र विनियमन में महिलाओं की भूमिका’ शीर्षक से एक वर्चुअल विनियामक सम्मेलन की मेजबानी की। इस कार्यक्रम में विद्युत नियामक आयोगों, डिस्कॉम, जेनकोस, गैर सरकारी संगठनों के साथ-साथ शैक्षणिक संस्थानों को शामिल करते हुए बिजली क्षेत्र के प्रमुख हितधारकों को एक साथ लाया गया। इस सम्मेलन में प्रमुख राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों के साथ एक पैनल चर्चा आयोजित की गई। इस पैनल में पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन की अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक परमिंदर चोपड़ा (अध्यक्ष), न्यूयॉर्क पब्लिक यूटिलिटी कमीशन की पूर्व अध्यक्ष और ऑस्ट्रेलियाई ऊर्जा बाजार संचालक की पूर्व सीईओ ऑड्रे जिबेलमैन (सह-अध्यक्ष), महाराष्ट्र विद्युत विनियामक आयोग के पूर्व अध्यक्ष वी.पी. राजा और पंजाब राज्य विद्युत विनियामक आयोग की पूर्व सदस्य अंजुली चंद्रा शामिल थीं।
आईआईटी कानपुर के सेंटर ऑफ एनर्जी रेगुलेशन की डॉ. अपराजिता सालगोत्रा और प्रो. अनूप सिंह ने हाल ही में समाज में महिलाओं की भूमिका और बिजली क्षेत्र के विनियामक शासन में उनकी भागीदारी पर एक व्यापक अध्ययन प्रस्तुत किया है। यह अध्ययन इस क्षेत्र में लैंगिक अंतर पर गहनता से चर्चा करता है, उन महत्वपूर्ण कारकों की पहचान करता है जो महिलाओं के कम प्रतिनिधित्व के लिए जिम्मेदार हैं, खासकर नियामक भूमिकाओं में। इस शोध में भारत और नौ अन्य देशों के विनियामक आयोगों का गहन विश्लेषण शामिल था, जिसे एक विस्तृत ऑनलाइन सर्वेक्षण द्वारा किया गया था। जिसके निष्कर्षों ने महिलाओं की भागीदारी में प्रमुख बाधाओं के रुप में सांस्कृतिक और सामाजिक मानदंडों को उजागर किया गया। व्यापक अध्ययन की सिफारिशों में क्षमता निर्माण कार्यक्रमों तक समान पहुंच प्रदान करना, कार्यस्थल में समान अवसर नीतियों को अपनाना, भर्ती वरीयताओं को लागू करना और विनियामक शासन ढांचे में समावेशिता और विविधता को बढ़ावा देने के लिए लिंग-विशिष्ट नीतियों को पेश करना शामिल है।
कार्यक्रम में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने और बिजली क्षेत्र के विनियमन में लैंगिक समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया। इन सहयोगी प्रयासों के माध्यम से हितधारकों का लक्ष्य अधिक लचीला और लैंगिक-संवेदनशील नीति ढांचा विकसित करना है।
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(Udaipur Kiran) / अजय सिंह