– समझौता से कौशल अंतर को दूर करके विमानन क्षेत्र में निरंतर विकास को बढ़ावा मिलेगा: मुख्यमंत्री
– डॉ. सरमा ने गुवाहाटी को सर्वश्रेष्ठ विमानन और लॉजिस्टिक्स हब के रूप में विकसित करने में सहायता का दिया आश्वासन
गुवाहाटी, 06 सितंबर (Udaipur Kiran) । वैश्विक प्रभाव वाले क्षेत्र में एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी में अभूतपूर्व शैक्षणिक, कौशल, अनुसंधान और विकास का मार्ग प्रशस्त करने के लिए आईआईटी गुवाहाटी ने आज यहां आईआईटी गुवाहाटी के डॉ. भूपेन हजारिका मिनी ऑडिटोरियम में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा की उपस्थिति में एयरबस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ समझौता ज्ञापन (एमओए) पर हस्ताक्षर किया। उल्लेखनीय है कि आईआईटी गुवाहाटी की ओर से आईआईटी गुवाहाटी के निदेशक प्रोफेसर देवेंद्र जलिहाल और एयरबस की ओर से एयरबस इंडिया के उपाध्यक्ष सूरज छेत्री ने असम में एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी और लॉजिस्टिक्स हब विकास के भविष्य और नवाचार के लिए एक औपचारिक गठबंधन और साझा प्रतिबद्धता को बढ़ावा देने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इस सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों में परिवहन, उद्योग, आतिथ्य, कौशल, कृषि, लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्र शामिल हैं, जिनमें विस्तार की बड़ी गुंजाइश है। इसके अलावा, समझौते में प्रतिभा को बढ़ावा देने और अगली पीढ़ी के एयरोस्पेस पेशेवरों का पोषण करने के लिए आपसी प्रतिबद्धता की परिकल्पना की गई है।
इस अवसर पर बोलते हुए, मुख्यमंत्री डॉ. सरमा ने कहा कि मौजूदा कौशल अंतर को दूर करने के अलावा एमओए निरंतर विकास को प्रज्वलित करेगा और पूर्वोत्तर में विमानन और लॉजिस्टिक्स क्षेत्रों की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाएगा। उन्होंने सहयोग को एक मजबूत और गतिशील कार्यबल बनाने के साथ-साथ विमानन और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने भविष्य को आकार देने में सभी प्रमुख हितधारकों की उनके समर्पण और दूरदर्शिता की सराहना की, जहां असम विमानन उद्योग के नवाचार और उत्कृष्टता के केंद्र के रूप में विकसित हो सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह समझौता तकनीकी उत्कृष्टता और वैश्विक नेतृत्व की भावना को दर्शाता है, जो तकनीकी विकास में असम की उन्नति को बनाए रखने की दिशा में बड़ा सहयोग देगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल के वर्षों में, असम ने सेमीकंडक्टर उद्योग, पेट्रोलियम रिफाइनिंग, पॉलिमर, कृषि क्षेत्र, पर्यटन, विमानन, आतिथ्य, स्वास्थ्य सेवा आदि के कई क्षेत्रों में बड़ी वृद्धि देखी है। उन्होंने कहा कि समझौता ज्ञापन इस विकास प्रक्षेपवक्र को और बढ़ावा देगा। उन्होंने कहा, यह समझौता न केवल एक यात्रा है, जो आईआईटी गुवाहाटी की समग्र क्षमताओं को बढ़ाएगी और एयरबस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का समर्थन करेगी, बल्कि औद्योगीकरण और तकनीकी उन्नति की हमारी खोज में भी मदद करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक्ट ईस्ट पॉलिसी ने संचार, परिवहन, व्यापार और व्यवसाय, पर्यटन, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, खेल, सूचना प्रौद्योगिकी, कृषि और कई अन्य क्षेत्रों में अवसरों के नए द्वार खोले हैं, जिससे पूर्वोत्तर को आसियान और बीबीएन देशों से जोड़ा जा सके। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में, आसियान देशों के साथ भारत की भागीदारी तेजी से बढ़ी है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के आर्थिक विकास की बढ़ती मांग को केवल तेजी से बढ़ते विमानन विकास के सहारे ही पूरा किया जा सकता है। क्षेत्र के कई दशक पुराने विमानन इतिहास पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में ही इस क्षेत्र में हवाई संपर्क में ठोस प्रगति देखी गई है। “उड़ान योजना के तहत, प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर में क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ावा देने के लिए ऐतिहासिक पहल की। क्षेत्रीय संपर्क योजना उड़ान-2 के तहत उत्तर पूर्व के महत्वपूर्ण शहरों को लाने के लिए शुरू किए गए ऐतिहासिक कदमों ने आम लोगों के लिए हवाई यात्रा को किफायती बनाकर क्षेत्रीय हवाई संपर्क को काफी सुविधाजनक बनाया। लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही को सुविधाजनक बनाकर संतुलित क्षेत्रीय विकास सुनिश्चित करते हुए, यह योजना बदले में पर्यटन, रोजगार सृजन और आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देगी” मुख्यमंत्री ने कहा। उन्होंने हाल के वर्षों में राज्य में विमानन क्षेत्र में विकसित किए जा रहे नए बुनियादी ढांचे और सुविधाओं के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि इस समझौता ज्ञापन के तहत प्रस्तावित विमानन और लॉजिस्टिक्स व्यवसाय में वैश्विक कौशल केंद्र, उद्योग की मांगों को पूरा करने के लिए व्यापक प्रशिक्षण देने के अलावा उत्तर पूर्वी क्षेत्र में उड़ान योजना पहल का भी समर्थन करेगा। इस पहल से हमारे क्षेत्र में व्यक्तियों के लिए रोजगार और कैरियर में उन्नति के अवसरों में उल्लेखनीय सुधार होगा और लॉजिस्टिक्स और विमानन दोनों क्षेत्रों में सेवा की गुणवत्ता बढ़ेगी, जिससे देश के भीतर और बाहर व्यापार के अवसरों का विस्तार होगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि पूर्वोत्तर और बीबीएनआई राज्यों से सालाना 2,000 छात्रों को प्रशिक्षित करने के लिए केंद्र में शुरू किए जाने वाले पाठ्यक्रमों की गतिशील श्रृंखला इस क्षेत्र में विमानन शिक्षा के लिए एक नया मानक स्थापित करेगी।
(Udaipur Kiran) / श्रीप्रकाश