गोवा, 22 नवंबर (Udaipur Kiran) 55वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) के दौरान आयोजित एक विशेष प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रशंसित लघु फिल्म ‘सनफ्लावर्स वेयर द फर्स्ट ओन्स टू नो’ की टीम ने मीडिया के साथ बातचीत की।
इस सत्र में फिल्म के निर्माण, रचनात्मक प्रक्रिया और इसकी प्रेरणा के बारे में कई दिलचस्प किस्से साझा किए गए। टीम ने फिल्म के अनोखे विषय और सिनेमाई दृष्टिकोण पर चर्चा करते हुए बताया कि कैसे यह परियोजना उनके लिए एक गहरे भावनात्मक अनुभव का हिस्सा बनी।
आईएफएफआई 2024 के दौरान आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में ‘सनफ्लावर्स वेयर द फर्स्ट ओन्स टू नो’ के निर्देशक चिदानंद ने अपनी फिल्म निर्माण यात्रा और लघु फिल्मों की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, लघु फिल्में महत्वाकांक्षी फिल्म निर्माताओं के लिए एक बेहतरीन मंच हैं, जो उन्हें विभिन्न शैलियों, तकनीकों और कहानी कहने के तरीकों के साथ प्रयोग करने का अवसर देती हैं।
आगे उन्होंने कहा, यह फिल्म सिर्फ एक कहानी नहीं बल्कि हमारी भावनाओं और अनुभवों का दर्पण है। हमें खुशी है कि इसे (आईएफएफआई) में प्रदर्शित किया गया और इसे दर्शकों से इतना प्यार मिल रहा है।
निर्देशक चिदानंद ने यह भी बताया कि एक फिल्म निर्माता के रूप में, वह हमेशा समय, स्थान और बजट के बीच संतुलन साधने का प्रयास करते हैं, साथ ही यह सुनिश्चित करते हैं कि उनकी फिल्म दर्शकों के लिए मूल्यवान अनुभव प्रदान करे।
फिल्म की प्रोडक्शन प्रक्रिया पर चर्चा करते हुए प्रोडक्शन डिजाइनर प्रणव खोत ने सीमित संसाधनों के बीच रचनात्मकता की चुनौतियों को शेयर किया। उन्होंने कहा, एफटीआईआई, पुणे द्वारा निर्मित यह प्रोजेक्ट हमें सीमित संसाधनों में अभिनव समाधान खोजने और अपनी रचनात्मकता का विस्तार करने के लिए प्रेरित करता है।
टीम ने इस फिल्म को बनाने के दौरान सीखे गए सबक और अनुभवों को साझा करते हुए इसे एक गहन रचनात्मक यात्रा करार दिया। ‘सनफ्लावर्स वेयर द फर्स्ट ओन्स टू नो’ ने न केवल अपने अनूठे दृष्टिकोण से दर्शकों को प्रभावित किया, बल्कि महत्वाकांक्षी फिल्म निर्माताओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बना।
‘सनफ्लावर्स वेयर द फर्स्ट ओन्स टू नो’ ने भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में अपनी अलग पहचान बनाई है और दर्शक इस लघु फिल्म के गहरे संदेश से काफी प्रभावित हुए हैं।
——————
(Udaipur Kiran) / लोकेश चंद्र दुबे