
जम्मू, 27 अप्रैल (Udaipur Kiran) । गंग्याल स्थित परशुराम मंदिर के प्रांगण में चल रहे संत सम्मेलन प्रवचन में रविवार को दूसरे दिन गौतम शास्त्री ने राजा परीक्षित जन्म प्रसंग सुनाया। उन्होंने बताया कि जन्म लेते ही परीक्षित सबके चेहरे की ओर निहारने लगे, परीक्षण करने लगे कि किस-किस को मैंने मां के गर्भ में देखा था। गदा, पुष्पधारी, पीतांबरधारी, श्याम वर्ण वह प्रभु कहां हैं? इसीलिए लोगों ने उनका नाम परीक्षित रख दिया। शास्त्री ने कहा कि परीक्षित संसार का हर जीव है और काल रूपी तक्षक का श्राप हर जीव को लगा है, जिसका ग्रास सभी को बनना है। राजा परीक्षित जब राजा बनते हैं, तभी कलियुग का प्रथम चरण शुरू होता है।
उन्होंने कहा कि कलियुग में भगवान को प्राप्त करने का सबसे अच्छा उपाय भक्ति है। भगवान का नाम जपें, कभी भी किसी का बुरा न करें, कोई पाप न करें, क्योंकि स्मरण रहे कि इस दुनिया में कर्मफल ही लेकर जाना है। सद्कर्म के लिए ही भगवान ने हमें भेजा है। किसी के साथ अच्छा न कर सको तो बुरा भी न करें। किसी के जीवन में फूल न बरसा सको तो कांटे भी उसके रास्ते में न डालें। ब्राह्मण सभा के सदस्यों ने बताया कि आज यानी सोमवार को विख्यात कथा वाचक संत सम्मेलन में शाम 6 बजे से रात्रि 10 बजे तक प्रभु का गुणगान करेंगे और भगवान की लीलाओं का वर्णन कर हम सबका मार्गदर्शन करेंगे।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा
