RAJASTHAN

डर का मापदंड हम अपनाएंगे तो नुकसान हम लोगों का : पायलट

पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट

जयपुर, 13 जनवरी (Udaipur Kiran) । कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कहा कि देश की राजनीति देश के साथ बदलती है, इसमें कोई बुरी बात नहीं है। आजादी से पहले देश में क्या राजनीति थी, आजादी के समय क्या राजनीति थी, आज से 30 साल पहले क्या राजनीति थी और आज क्या राजनीति है। समाज बदल रहा है, दुनिया बदल रही है तो राजनीति का बदलना स्वाभाविक है। डर का मापदंड हम अपनाएंगे तो नुकसान हम लोगों का होगा।

पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने इंदिरा गांधी पंचायती राज भवन में लोक स्वराज मंच द्वारा आयोजित व्याख्यान कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत की। पायलट ने कहा कि लोकतंत्र को जीवित रखने का काम यदि कोई करता है तो संस्थाएं करती हैं। संस्थान इंसान चलाता है। संस्था को चलाने वाले व्यक्ति की प्रतिबद्धता क्या है, उनकी सोच क्या है, वह कितने स्वतंत्र है, कितनी उनमें क्षमता है, कितना उनको देश से प्यार है। मुझे याद है जब मैं पहली बार संसद में गया था। 26 साल की उम्र में संसद पहुंच गया था। उस समय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह थे, इस सदन में वाजपेयी, देवगाैडा थे। चन्द्रशेखर थे।

2004 में जो संसद का माहौल था वह आज नहीं है। देश की जनता को अपने भीतर भी झांकना चाहिए।

उन्हाेंने कहा कि देश में पहले लेबर मोमेंट्स, सोशल मोमेंट्स होते थे। लाेग अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर आते थे लेकिन आज के युवाओं में जागरूकता का अभाव है। हालांकि जोश कम नहीं है। देश के मुद्दे और सामाजिक मुद्दों पर उनकी भागीदारी सोशल मीडिया तक रह जाती है। संस्थाओं को यदि मजबूत करना चाहते हैं तो हमें जनता को मजबूत करना होगा। मैं नहीं समझता कि कोई एक व्यक्ति, कोई एक दल लोकतंत्र का भार उठा सकता है। यह तभी संभव है जब हम समझे कि यह सामूहिक जिम्मेदारी है। देश के लोग यह समझ लें कि विपक्ष का काम है, लड़ेंगे-जेल में जाएंगे, प्रदर्शन करेंगे, सत्ता में जाएंगे और अंत में जीत हो जाएगी। इससे काम नहीं चलेगा। देश के भविष्य के लिए संघर्ष करेंगे तो निश्चित ही जीत मिलेगी। मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि भविष्य में कुछ होने वाला नहीं है। आज नहीं, 27 में नहीं होगा, 29 में नहीं होगा, ऐसा नहीं है। यह महान देश है। यहां की जनता बहुत समझदार हैं और सही समय पर सही निर्णय लेंगे। आज लोकपाल की चर्चा कोई नहीं करता। रिपोर्ट आई है, नहीं है, प्रकाशित हो रही है, नहीं हो रही है, कोई चिंता नहीं करता इसलिए डर का मापदंड हम अपनाएंगे तो नुकसान हम लोगों का होगा।

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(Udaipur Kiran) / रोहित

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