श्रीनगर, 30 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को कहा कि अगर जम्मू-कश्मीर के लोगों की पहचान का सम्मान नहीं किया जाता है तो सब कुछ अर्थहीन है।
एसकेआईसीसी श्रीनगर में आयोजित एक समारोह में बोलते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मैं पहले भी जम्मू-कश्मीर का मुख्यमंत्री रहा हूं लेकिन आज स्थिति काफी बदल गई है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को पिछले कुछ सालों से उनके अधिकारों से वंचित रखा गया है और मौजूदा सरकार उनके अधिकारों की बहाली के लिए लड़ेगी।
उमर अब्दुल्ला ने सवाल किया कि क्या जम्मू-कश्मीर के लोगों को परेशान किया जाना चाहिए? क्या उन्हें अपनी जमीन पर सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार नहीं है? उन्होंने कहा कि बिजली, सड़क, पानी और रोजगार किसी तरह से हल हो जाएंगे लेकिन अगर जम्मू-कश्मीर के लोगों की पहचान का सम्मान नहीं किया जाता है तो सब कुछ बेमतलब है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर जम्मू-कश्मीर के लोगों की पहचान का सम्मान नहीं किया जाता है तो सब कुछ बेमतलब है। उन्होंने कहा कि उनकी अगुवाई वाली सरकार जम्मू-कश्मीर की खोई हुई पहचान के लिए लड़ेगी। उन्होंने कहा कि हमारी अपनी जमीन और संसाधनों पर हमारा अधिकार है। अगर हमारी पहचान का सम्मान किया जाता है तो हम कह सकते हैं कि देश में हमारा सम्मान किया जा रहा है।
उमर ने आगे कहा कि सरकार अपने लोगों के साथ अच्छे संबंध बनाना चाहती है और समाज के विभिन्न वर्गों के साथ नियमित बैठकें करना चाहती है। उन्होंने कहा कि सरकार-सार्वजनिक संबंध को मजबूत करने के लिए साल में कम से कम दो बैठकें होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले छह सालों से जम्मू-कश्मीर में कोई लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं थी। लोकतांत्रिक व्यवस्था का मतलब सरकार के साथ लोगों के बंधन को मजबूत करना है। सरकार इस पर सख्ती से जोर देगी। उन्हाेंने कहा कि हमें उम्मीद है कि मौजूदा यूटी शासन मॉडल जल्द ही खत्म हो जाएगा
(Udaipur Kiran) / सुमन लता