HimachalPradesh

स्वास्थ्य सेवाओं पर शांता कुमार की चिंता, बाेले सीमाएं टूट जाएं तो दिल चिल्लाने लगता है

Shanta

शिमला, 22 मई (Udaipur Kiran) । पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता शांता कुमार ने प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं और दवा गुणवत्ता को लेकर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि हर बात की एक सीमा होती है, लेकिन जब सभी सीमाएं टूट जाती हैं, तो दिल पत्थर बन जाता है और चिल्लाने लगता है।

शांता कुमार ने वीरवार काे जारी एक बयान में कहा कि वह लगातार दो तरह की खबरें पढ़-पढ़ कर बेहद व्यथित और चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि आज के समाचार पत्र में प्रमुखता से प्रकाशित एक खबर के अनुसार, टांडा मेडिकल कॉलेज में बीते छह महीनों में 51 मौतें हो चुकी हैं। अस्पताल की सभी एक्सरे मशीनें खराब हैं और जरूरी एमआरआई तथा सीटी स्कैन जैसे टेस्ट के लिए मरीजों को दो-दो महीने की प्रतीक्षा करनी पड़ रही है।

इसी के साथ उन्होंने दवाओं की गुणवत्ता पर भी गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि हिमाचल में बनाई गई दवाओं के नमूनों की जांच में खामी पाई जा रही है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार, इस माह 57 दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं। जबकि अप्रैल में 32, मार्च में 38 और जनवरी में 28 सैंपल मानकों पर खरे नहीं उतरे। उन्होंने कहा कि यह स्थिति उस प्रदेश की है जहां देश की 30 प्रतिशत दवाओं का उत्पादन होता है।

इन दोनों मुद्दों को लेकर शांता कुमार ने प्रदेश सरकार को घेरते हुए कहा कि अब उनके पास कुछ कहने के लिए शब्द नहीं हैं, केवल एक उर्दू शेर के माध्यम से उन्होंने अपनी पीड़ा व्यक्त की: कुर्सी है जनाज़ा तो नहीं, कुछ कर नहीं सकते तो उतर क्यों नहीं जाते?

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(Udaipur Kiran) शुक्ला

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