Haryana

फरीदाबाद : एंबुलेंस नहीं मिली तो ऑटो में हुई गर्भवती की डिलीवरी

सिविल अस्पताल ऑटो के पास मौके पर पहुंची नर्स स्टाफ

फरीदाबाद, 20 मई (Udaipur Kiran) । गर्भवती महिला को अस्पताल ले जाने के लिए समय पर एम्बुलेंस नहीं मिली। जिस कारण उसने रास्ते में ऑटो में ही नवजात शिशु को जन्म दे दिया। स्थिति तब और तनावपूर्ण हो गई जब महिला को उसके पति ने अस्पताल में भर्ती कराने से इनकार कर दिया, जिसके बाद पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा। जानकारी के अनुसार सरूरपुर निवासी किरन को सोमवार प्रसव पीड़ा शुरू हुई। किरन के पति संतोष ने बीके अस्पताल में एम्बुलेंस के लिए कॉल किया, लेकिन अस्पताल की ओर से कोई एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं कराई गई। मजबूरी में संतोष ने एक ऑटो को एक हजार रुपए में बुक किया और पत्नी को अस्पताल ले जाने लगा। सरूरपुर एक औद्योगिक क्षेत्र है, जहां की सडक़ें अत्यंत खराब स्थिति में हैं। ऑटो में अधिक धक्के लगने के कारण किरन की हालत बिगड़ती गई और अस्पताल पहुंचने से पहले ही रास्ते में उसकी डिलीवरी हो गई। किरन ने ऑटो में ही एक स्वस्थ शिशु को जन्म दिया। अस्पताल पहुंचने के बाद संतोष ने इमरजेंसी में तैनात नर्सिंग स्टाफ से शिशु की नाल काटने का अनुरोध किया। लेकिन वह अपनी पत्नी को अस्पताल में भर्ती कराने को तैयार नहीं था। संतोष का कहना था कि चूंकि डिलीवरी नॉर्मल हुई है, इसलिए वह अपनी पत्नी और नवजात को घर ले जाएगा। नर्सिंग स्टाफ ने स्पष्ट किया कि चूंकि महिला और शिशु अस्पताल परिसर में पहुंच चुके हैं और यह एक मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति है, इसलिए उन्हें भर्ती करना आवश्यक है। उन्हें कुछ जरूरी टेस्ट और टीके भी लगाने होंगे, जो शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए बेहद जरूरी होते हैं। संतोष ने बच्चे को कपड़े में लपेटकर घर ले जाने की कोशिश की, जबकि नर्स ने इसे इन्फेक्शन का खतरा बताया और ऐसा करने से मना किया। जब संतोष अपनी जिद पर अड़ा रहा तो अस्पताल प्रबंधन ने पुलिस को बुला लिया। पुलिस ने संतोष को काफी समझाने-बुझाने के बाद आखिरकार उसे भर्ती के लिए सहमत किया। बीके अस्पताल के प्रधान चिकित्सा अधिकारी डॉ. सतेंद्र वशिष्ठ ने कहा कि हमें इस घटना की जानकारी नहीं थी, लेकिन यदि ऐसा हुआ है तो यह अत्यंत गंभीर मामला है। नवजात शिशु और जच्चा दोनों को जन्म के तुरंत बाद कुछ टीके और टेस्ट दिए जाते हैं, जो उनकी सुरक्षा के लिए अनिवार्य हैं। भर्ती कराना जरूरी है ताकि कोई संक्रमण या अन्य जोखिम न हो।

(Udaipur Kiran) / -मनोज तोमर

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फरीदाबाद : एंबुलेंस नहीं मिली तो ऑटो में हुई गर्भवती की डिलीवरी

सिविल अस्पताल ऑटो के पास मौके पर पहुंची नर्स स्टाफ

फरीदाबाद, 20 मई (Udaipur Kiran) । गर्भवती महिला को अस्पताल ले जाने के लिए समय पर एम्बुलेंस नहीं मिली। जिस कारण उसने रास्ते में ऑटो में ही नवजात शिशु को जन्म दे दिया। स्थिति तब और तनावपूर्ण हो गई जब महिला को उसके पति ने अस्पताल में भर्ती कराने से इनकार कर दिया, जिसके बाद पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा। जानकारी के अनुसार सरूरपुर निवासी किरन को सोमवार प्रसव पीड़ा शुरू हुई। किरन के पति संतोष ने बीके अस्पताल में एम्बुलेंस के लिए कॉल किया, लेकिन अस्पताल की ओर से कोई एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं कराई गई। मजबूरी में संतोष ने एक ऑटो को एक हजार रुपए में बुक किया और पत्नी को अस्पताल ले जाने लगा। सरूरपुर एक औद्योगिक क्षेत्र है, जहां की सडक़ें अत्यंत खराब स्थिति में हैं। ऑटो में अधिक धक्के लगने के कारण किरन की हालत बिगड़ती गई और अस्पताल पहुंचने से पहले ही रास्ते में उसकी डिलीवरी हो गई। किरन ने ऑटो में ही एक स्वस्थ शिशु को जन्म दिया। अस्पताल पहुंचने के बाद संतोष ने इमरजेंसी में तैनात नर्सिंग स्टाफ से शिशु की नाल काटने का अनुरोध किया। लेकिन वह अपनी पत्नी को अस्पताल में भर्ती कराने को तैयार नहीं था। संतोष का कहना था कि चूंकि डिलीवरी नॉर्मल हुई है, इसलिए वह अपनी पत्नी और नवजात को घर ले जाएगा। नर्सिंग स्टाफ ने स्पष्ट किया कि चूंकि महिला और शिशु अस्पताल परिसर में पहुंच चुके हैं और यह एक मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति है, इसलिए उन्हें भर्ती करना आवश्यक है। उन्हें कुछ जरूरी टेस्ट और टीके भी लगाने होंगे, जो शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए बेहद जरूरी होते हैं। संतोष ने बच्चे को कपड़े में लपेटकर घर ले जाने की कोशिश की, जबकि नर्स ने इसे इन्फेक्शन का खतरा बताया और ऐसा करने से मना किया। जब संतोष अपनी जिद पर अड़ा रहा तो अस्पताल प्रबंधन ने पुलिस को बुला लिया। पुलिस ने संतोष को काफी समझाने-बुझाने के बाद आखिरकार उसे भर्ती के लिए सहमत किया। बीके अस्पताल के प्रधान चिकित्सा अधिकारी डॉ. सतेंद्र वशिष्ठ ने कहा कि हमें इस घटना की जानकारी नहीं थी, लेकिन यदि ऐसा हुआ है तो यह अत्यंत गंभीर मामला है। नवजात शिशु और जच्चा दोनों को जन्म के तुरंत बाद कुछ टीके और टेस्ट दिए जाते हैं, जो उनकी सुरक्षा के लिए अनिवार्य हैं। भर्ती कराना जरूरी है ताकि कोई संक्रमण या अन्य जोखिम न हो।

(Udaipur Kiran) / -मनोज तोमर

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