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पीजी कोर्स के बाद डॉक्टर्स सेवाएं नहीं दे तो दस लाख रुपए करें अदा

हाईकोर्ट जयपुर

जयपुर, 6 जून (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने एसएमएस मेडिकल कॉलेज सहित अन्य अन्य मेडिकल कॉलेजों से पीजी कोर्स करने के बाद सीनियर रेजिडेंट शिप नहीं करने से जुडे मामले में राज्य सरकार को उनके मूल दस्तावेज लौटाने को कहा है। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता राज्य सरकार को यह अंडरटेकिंग दें कि यदि वे एसआरशिप ज्वाइन नहीं करेंगे तो दस लाख रुपए की बॉन्ड राशि का भुगतान करेंगे। जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश डॉ. सैयद शाबाज सहित करीब दो सौ से अधिक याचिकाओं पर संयुक्त रूप से सुनवाई करते हुए दिए। वहीं अदालत ने राज्य सरकार की पुनर्विचार अर्जी को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह मुद्दा खंडपीठ में लंबित चल रहा है। ऐसे में एकलपीठ इसमें आदेश पारित नहीं कर सकता।

याचिका में अधिवक्ता कुशाग्र शर्मा और पूर्व माथुर ने बताया कि पीजी कोर्स में प्रवेश के समय याचिकाकर्ताओं से दस लाख रुपए का बॉन्ड लिया जाता है कि यदि वे कोर्स के बाद दो साल तक राज्य सरकार को सेवा नहीं दें तो इस राशि का भुगतान राज्य सरकार के पक्ष में किया जाए। इसके साथ ही याचिकाकर्ताओं से उनके मूल दस्तावेज भी जमा करा लिए जाते हैं। याचिका में कहा गया कि मूल दस्तावेज रोकने का कोई प्रावधान नहीं है। वहीं नेशनल मेडिकल कमिशन ने भी इस दस्तावेज रोकने की कोई व्यवस्था नहीं दी है। इसके अलावा हाईकोर्ट की एकलपीठ पूर्व में भी दस्तावेज जारी करने के निर्देश दे चुका है। दूसरी ओर राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता अर्चित बोहरा ने कहा कि राज्य सरकार बेहद किफायती फीस पर पीजी कोर्स कराती है और एसआरशिप के दौरान चिकित्सकों को भुगतान भी करती है। इसके बावजूद भी कोर्स करने के बाद वे दो साल की सेवा नहीं देते। इसलिए उनके बॉन्ड के साथ ही मूल दस्तावेज लिए जाते हैं।

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(Udaipur Kiran)

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