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विभाग से अधिकृत अधिवक्ता कोर्ट में मौजूद तो उसे प्रोफेशनल फीस पाने का है अधिकार 

इलाहाबाद हाईकोर्ट

-गांव सभा के पैनल अधिवक्ता को फीस देने से इंकार करने का आदेश रद्द -जिलाधिकारी जौनपुर को अधिवक्ता को बकाया फीस देने का निर्देश प्रयागराज, 29 नवंबर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि किसी विभाग ने अपने केसों के लिए अपना अधिवक्ता नामित किया है और अधिवक्ता ने कोर्ट में उपस्थित होकर पक्ष रखा है तो नियमानुसार अधिवक्ता को फीस पाने का अधिकार है। विभाग फीस देने से इंकार नहीं कर सकता।

कोर्ट ने जिलाधिकारी जौनपुर को निर्देश दिया है कि गांव सभा के पैनल अधिवक्ता याची के बकाया बिलों पर पुनर्विचार कर भुगतान करने की कार्यवाही पूरी करें। यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर बी सराफ तथा न्यायमूर्ति वी सी दीक्षित की खंडपीठ ने अधिवक्ता मनोज कुमार यादव की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने गांव सभा के अधिवक्ता को फीस का भुगतान करने से इंकार करने के जिलाधिकारी जौनपुर के आदेश को रद कर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता आलोक कुमार यादव ने बहस की।

इनका कहना था कि याची को गांव सभा का पैनल अधिवक्ता नामित किया गया। उसे गांव सभा की तरफ से नोटिस लेने व प्रतिवाद करने के लिए अधिकृत किया गया और अधिवक्ता कोर्ट में मौजूद रहे तो उसे फीस देने से इंकार नहीं किया जा सकता। यह भी कहा कि वाराणसी, गाजीपुर व चंदौली के जिलाधिकारियों ने याची के बिलों का भुगतान कर दिया है। केवल जौनपुर के जिलाधिकारी भुगतान नहीं कर रहे हैं। जिसके लिए याचिका दायर की गई थी।

याची ने 4 लाख 12 हजार 275 रुपये 18 फीसदी ब्याज सहित बकाया अधिवक्ता फीस भुगतान करने की मांग की थी। याची को 16 मई 13 को चार जिलों की गांव सभा का पैनल अधिवक्ता नियुक्त किया गया था। 27 दिसम्बर 19 को हटा दिया गया।

कोर्ट ने कहा कि याची ने उन केसों जिसमें गांव सभा पक्षकार थी, प्रोफेशनल कार्य किया, जिसके लिए उसे अधिकृत किया गया था। भले ही केस से गांव सभा का सीधा सरोकार नहीं था, फिर भी अधिवक्ता ने अपना काम किया है। इसलिए उसे फीस पाने का अधिकार है। इससे इंकार नहीं किया जा सकता।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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