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खेलों में अमेरिका-चीन से कदमताल करना है तो भारतीयों को बदलना होगा अपना माइंडसेट : सारंग

खेलों में अमेरिका-चीन से कदमताल करना है तो भारतीयों को बदलना होगा अपना माइंडसेट: सारंग

– मप्र के खेल मंत्री ने नई दिल्ली में स्पोर्ट इंडिया कॉन्फ्रेंस 2024 को किया संबोधित

भोपाल. 30 अगस्त (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने कहा कि जब ओलंपिक या अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता होती है, तो हम सभी पदकों की तुलना अमेरिका एवं चीन से करने लगते हैं। यह स्वाभाविक भी है। मानव की यह प्रकृति भी है। तुलनात्मक अध्ययन करना, यह होना भी चाहिए। हमें सोचना भी पड़ेगा कि क्या देशवासियों में खेलों को केरियर के रूप में अपनाने की अवधारणा है, उस माइंडसेट में बदलाव आया है। वर्तमान में हमारे बच्चे खेल में कैरियर बनाने को लेकर कुछ सकारात्मक बदलाव तो हुआ है। हमें अमेरिका-चीन से कदमताल करना है तो अपना माइंडसेट बदलना होगा।

खेल मंत्री सारंग शुक्रवार को प्रगति मैदान, नई दिल्ली में स्पोर्ट इंडिया कॉन्फ्रेंस के 12वें संस्करण में स्पोर्ट इंडिया एक्सपो का शुभारंभ कार्यकरम को संबोधित कर रहे थे। इस महत्वपूर्ण कॉन्फ्रेंस का आयोजन फिजिकल एजुकेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीईएफआई) ने स्पोर्ट इंडिया फाउंडेशन और इंडियन एक्जीबिशन सर्विसेज के सहयोग से किया गया, जिसमें देशभर के खेल और शारीरिक शिक्षा क्षेत्र के अग्रणी विशेषज्ञ और नेताओं ने भारत में खेलों के भविष्य पर विचार-विमर्श किया।

खेलों के प्रति सकारात्मक सोच लाने की जरूरत

मंत्री सांरग ने कहा कि 140 करोड़ जनसंख्या वाले देश मे खेल जुनून बन जाना चाहिए। मध्यप्रदेश की सरकार हो या केंद्र की एनडीए की सरकार, खेलों के प्रति युवाओं में माहौल व संसाधन सुविधा उपलब्ध कराने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। स्वामी विवेकानंद के ध्येय वाक्य पढ़ाई के साथ खेल भी मन-मस्तिष्क को उर्वरक बनाने के लिए जरूरी है, इसे अपनाकर आगे बढ़े तो भारत भी पदकों की तालिका में अमेरिका व चीन को मात देने की सामर्थ्य रखता है।

उन्होंने कहा कि खेलों का यह अमृत काल है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में खेल के क्षेत्र में फिट इंडिया से लेकर कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम चलाए गए हैं। इसका उद्देश्य है, युवाओं में खेलों के प्रति जागरूकता लाना, जिससे हम खेल के क्षेत्र में महाशक्ति बन सके। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में किसी समय केवल 2 करोड़ रुपये खेल का बजट हुआ करता था। आज 700 करोड़ रुपये है। लोगों में खेलों के प्रति जागरूकता लाने सरकारी स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं। बच्चों के हाथ में मोबाइल देने की बजाय उन्हें खेल की कोई सामग्री देकर आसपास के खेल मैदाने में भेजने के लिए संवेदनशील होना पड़ेगा। जब तक खेल के प्रति आस्था नहीं होगी, परिणाम सकारात्मक नहीं आएंगे। सरकार अपने स्तर पर रिसर्च-रिफॉर्म कर रही है। जो भी खिलाड़ी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आगे आ रहे हैं, वह परफॉर्म कर देश का सम्मान भी बढ़ा रहे हैं।

खेल प्रतिभाओं को किया सम्मानित

मंत्री सारंग ने स्पोर्ट्स इंडिया पुरस्कार समारोह में खेल कोचिंग, शिक्षण, प्रशासन और प्रबंधन में उत्कृष्ट योगदान देने वाले व्यक्तियों और संगठनों को सम्मानित किया। उल्लेखनीय है कि यह पुरस्कार भारत के खेल क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों और संगठनों को प्रदान किया जाता है। सम्मेलन में सभी ने खेल प्रशासन, नीति-निर्माण और राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर खेल कार्यक्रमों के क्रियान्वयन से जुड़ी चुनौतियों और अवसरों पर अपने विचार साझा किए।

सम्मेलन में मिजोरम के खेल और युवा सेवा मंत्री लालनघिंगलोवा हमार, उत्तर के बदलापुर से विधायक रमेश चंद्र मिश्रा, हॉकी में द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता डॉ. ए.के. बंसल और एडीजी विशेष प्रमुख सचिव (खेल) उत्तराखंड आईपीएस अमित सिन्हा और पैनलिस्ट भी शामिल हुए।

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(Udaipur Kiran) तोमर

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