Uttar Pradesh

‘सम्भव’ अभियान में अति कुपोषित व कुपोषित बच्चों का हो रहा चिन्हीकरण

अति कुपोषित का वजन माप:फोटो बच्चा गुप्ता

—30 सितम्बर तक चलेगा अभियान, शत-प्रतिशत रिपोर्टिंग के निर्देश

वाराणसी, 13 सितम्बर (Udaipur Kiran) । अति कुपोषित यानी सीवियर एक्यूट मालन्यूट्रीशन (सैम) एवं कुपोषित यानी मॉडरेट एक्यूट मालन्यूट्रीशन (मैम) से ग्रसित बच्चों को सुपोषित बनाने के लिए जून से सम्भव 4.0 अभियान शुरू किया गया है। मुख्य विकास अधिकारी की निगरानी में गर्भवती और शिशु स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए यह अभियान पूरे सितम्बर माह तक चलेगा।

अभियान में समस्त विकास खंडों में बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) की मॉनिटरिंग और मुख्य सेविका (सुपरवाइज़र) के पर्यवेक्षण में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अति कुपोषित बच्चों को चिन्हित कर रही हैं। चिन्हित सैम बच्चों का आंगनबाड़ी केंद्र पर ही उपचार किया जा रहा है। गम्भीर बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) पर भर्ती कर उपचार किया जा रहा है।

जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि विगत तीन वर्षों में सम्भव अभियान सफलता पूर्वक हुआ है। जिसमें वाराणसी को प्रदेश में तीसरा स्थान भी मिला है। पिछले अभियान से प्राप्त हुए सकारात्मक परिणाम के मद्देनजर इस वर्ष सम्भव अभियान का चतुर्थ चरण यानि सम्भव 4.0 जून से सितम्बर तक संचालित किया जाएगा। अभियान का उद्देश्य अति कुपोषित व कुपोषित बच्चों का चिह्नांकन, उपचार व सामुदायिक स्तर पर उनके प्रबंधन के साथ कुपोषण की रोकथाम के लिए व्यवहार परिवर्तन पर जोर दिया जाना है। अभियान की मुख्य थीम कुपोषित बच्चों का चिह्नांकन, संदर्भन, उपचार, प्रबंधन व फॉलो-अप है। उन्होंने बताया कि अभियान के अंतर्गत एक जून से अब तक 22 अगस्त तक 848 सैम बच्चों को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के द्वारा ई-कवच पर चिन्हित किया गया। इसमें 824 सैम बच्चों में कोई गम्भीर समस्या नहीं देखी गई। जिसमें से 595 बच्चों को आवश्यक दवा से उपचार किया गया। शेष बच्चों का भी उपचार किया जा रहा है।

डीपीओ ने बताया कि सम्भव अभियान के अन्तर्गत सैम बच्चों के समुदाय आधारित प्रबंधन तथा समुदाय आधारित प्रबंधन को सुदृढ़ बनाने, गंभीर कुपोषित सैम बच्चों की पहचान, रेफरल और उपचार के लिए समुदाय आधारित कार्यक्रम को बढ़ावा दिया जा रहा है।

(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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