
हावड़ा ,26 मई (Udaipur Kiran) हावड़ा में वर्षों से चली आ रही कचरा समस्या के स्थायी समाधान के विषय में प्रशासन द्वारा एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। बेलगछिया डंपिंग यार्ड में गत 21 मार्च को हुए भूस्खलन हादसे के बाद, हावड़ा जिला प्रशासन ने इस मामले पर तेजी से कार्रवाई करते हुए एक उपयुक्त वैकल्पिक स्थल की पहचान कर ली है। यह जानकारी हावड़ा की जिला मजिस्ट्रेट पी दीप प्रिया द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में एक विस्तृत हलफनामे में दी गई।पहली बार वैकल्पिक कचरा निस्तारण स्थल की तलाश के निर्देश दिए जाने के 22 साल बाद हावड़ा की पुरानी और गंभीर कचरा समस्या के अस्थाई समाधान की उम्मीद अब सकार होती दिख रही है । हालांकि उस स्थान का नाम अभी तक उजागर नहीं किया गया है लेकिन प्रशासन और वातावरण के बचाव से जुड़े लोगों में इस निर्णय को लेकर आशा की एक नई किरण जागी है। गौरतलब है कि बेलगछिया स्थित डंपिंग यार्ड में कचरे के भारी ढेर के कारण हुए भूस्खलन से कई मकान और सड़क क्षतिग्रस्त हो गई थीं। यह हादसा वर्षों से जमा 150 मीटर ऊंचे कचरे के ढेर की उपेक्षा का परिणाम था। इसी घटना के बाद प्रशासन ने तेजी के साथ इस पर कार्यवाही शुरू की और वैकल्पिक समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाई। पर्यावरण कार्यकर्ता सुभाष दत्ता, जो तीन दशकों से इस मुद्दे पर कार्य कर रहे हैं उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट ने पहली बार 2003 में और फिर 2008 में वैकल्पिक डंपिंग स्थल खोजने का निर्देश दिया था। इस बीच हावड़ा शहर का दायरा तेजी से बढ़ा और मौजूदा डंपिंग स्थल का बड़ा हिस्सा अतिक्रमण की चपेट में आ गया अब जब एक उपयुक्त स्थान मिल गया है तो आशा है कि यह समाधान स्थाई साबित होगा । हलफनामे में यह भी बताया गया है कि हादसे के बाद प्रशासन ने तत्काल बड़े पैमाने पर बायो मीनिंग और बायो रिमेडियेशन जैसी आधुनिक तकनीक के माध्यम से पुराने कचरे का उपचार शुरू किया है और साथ ही हावड़ा नगर निगम ने 25 वार्डों में घर-घर जाकर अलग-अलग कचरा उठाने की प्रक्रिया शुरू की है जिससे लैंडफिल तक पहुंचने वाले कचरे की मात्रा में जितना हो सके कमी लाई जा सके । अब इस मामले की अगली सुनवाई 29 मई 2025 को निर्धारित की गई है जिसमें प्रशासन की प्रगति रिपोर्ट की चर्चा की जाएगी और इस दिशा में ठोस कदम भी लिया जाएगा।
(Udaipur Kiran) / अनिता राय
