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शिमला में आइस स्केटिंग का रोमांच शुरू

आईस स्केटिंग करते बच्चे

शिमला, 11 दिसंबर (Udaipur Kiran) । राजधानी शिमला के प्रसिद्ध लक्कड़ बाजार में स्थित एशिया के पहले प्राकृतिक ऐतिहासिक आइस स्केटिंग रिंक में इस सर्दी के मौसम में स्केटिंग का रोमांच फिर से शुरू हो गया है। बर्फबारी के बाद कड़ाके की ठंड के कारण रिंक में बर्फ जम गई है और बुधवार सुबह यहां स्केटिंग का पहला सत्र आयोजित किया गया। इस सत्र में खासकर बच्चे बड़ी संख्या में पहुंचे और आइस स्केटिंग का आनंद लिया। फिलहाल सुबह के समय ही स्केटिंग सत्र आयोजित किए जा रहे हैं। आने वाले दिनों में शाम के सत्र भी शुरू किए जाएंगे।

आईस स्केटिंग क्लब के सचिव रजत मल्होत्रा ने बताया कि आज से स्केटिंग के सत्रों की शुरुआत हो गई है। पिछले कुछ दिनों से रिंक में बर्फ जमाने का काम जारी था और ट्रायल के बाद इसे सफल माना गया। रजत ने कहा कि पहले दिन के स्केटिंग सत्र में बच्चों में खासा रोमांच देखने को मिला। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि कुछ दिनों बाद शाम के सत्रों की शुरुआत भी कर दी जाएगी जिनमें क्लब के सदस्य और पर्यटक दोनों ही स्केटिंग का मजा ले सकेंगे। रजत मल्होत्रा ने कहा कि इस बार ठंड ज्यादा है जिसकी वजह से स्केटिंग सीजन पहले शुरू हो गया है। पिछले साल कुल 73 सत्र आयोजित किए गए थे और इस बार उम्मीद है कि हम ज्यादा सत्र आयोजित कर सकेंगे।

वहीं पहले दिन के स्केटिंग सत्र में बच्चों और युवाओं में जबरदस्त जोश देखा गया। स्केटिंग करने आए बच्चों का कहना था कि वे पूरे साल इस समय का इंतजार करते हैं। उनका कहना था कि ठंड के बावजूद स्केटिंग का रोमांच हमेशा बना रहता है। इसके अलावा कई सालों से स्केटिंग कर रहे लोग भी इस अनुभव को लेकर काफी रोमांचित नजर आए। कड़ाके की ठंड के बावजूद आईस स्केटिंग का शौक रखने वाले लोगों के हौसले बुलंद हैं और तापमान में गिरावट के बावजूद लोग इस खेल का आनंद लेने आ रहे हैं।

रजत मल्होत्रा ने बताया कि आइस स्केटिंग के लिए शुल्क निर्धारित किए गए हैं। एक सत्र के लिए गैर-सदस्यों को 300 रुपये चुकाने होते हैं। वहीं क्लब के सदस्यों के लिए वार्षिक शुल्क 3000 रुपये (सिंगल) और 3500 रुपये (कपल) रखा गया है। इसके अतिरिक्त कुछ लोग 15 दिनों के लिए भी सदस्यता लेते हैं। जिसके लिए उन्हें 2100 रुपये का शुल्क देना पड़ता है और इस दौरान क्लब की ओर से स्केट्स भी उपलब्ध कराए जाते हैं। रजत ने यह भी बताया कि सुबह का सत्र लगभग अढ़ाई घंटे का होता है, जबकि शाम का सत्र डेढ़ घंटे का रहता है।

उन्होंने कहा कि यह आइस स्केटिंग रिंक एशिया का पहला ओपन एयर रिंक है और यहां प्राकृतिक रूप से बर्फ जमाई जाती है। यह रिंक 104 साल पुराना है। रजत मल्होत्रा ने इसके ऐतिहासिक महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि ब्रिटिश काल के दौरान यहां एक टेनिस कोर्ट हुआ करता था। एक रात किसी व्यक्ति द्वारा यहां पानी फेंका गया और सुबह तक वह पानी जम गया। इससे अंग्रेजों को यह विचार आया कि यहां आइस स्केटिंग करवाई जा सकती है। इसके बाद 1920 में इस रिंक को तैयार किया गया और तब से आज तक यहां आइस स्केटिंग का आयोजन किया जा रहा है।

बता दें कि हर साल सर्दियों के मौसम में यहां आइस स्केटिंग का आयोजन होता है और यह जगह पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गई है।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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