गोवा, 22 नवंबर (Udaipur Kiran) । 55वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) के तीसरे दिन प्रख्यात संगीत निर्देशक शांतनु मोइत्रा और प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक, निर्माता और पटकथा लेखक विधु विनोद चोपड़ा ने पणजी, गोवा स्थित कला अकादमी में शानदार मास्टरक्लास का आयोजन किया।
‘लिविंग मूवीज: फिल्म निर्माण और रचनात्मक जीवन’ विषय पर आधारित इस सत्र ने खचाखच भरे हॉल में दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। दोनों ने फिल्म निर्माण की गहराई, रचनात्मक दृष्टिकोण और अपने अनुभव शेयर करते हुए इस सत्र को जीवंत बनाया।
आईएफएफआई के तीसरे दिन आयोजित मास्टरक्लास में संगीत निर्देशक शांतनु मोइत्रा ने फिल्म परिणीता के लोकप्रिय गीत ‘पीयू बोले पिया बोले’ से सत्र की शुरुआत की। इस माहौल में जल्द ही फिल्मकार विधु विनोद चोपड़ा भी शामिल हो गए।
विधु विनोद चोपड़ा ने अपनी विशेष शैली में बातचीत को पारंपरिक ढांचे से अलग दिशा दी। उन्होंने मंच पर अपनी ऊर्जा और जीवंतता से दर्शकों को बांधे रखा। अपनी प्रारंभिक संघर्ष भरी यात्रा को शेयर करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे वह फिल्म निर्देशक विजय आनंद के साथ काम करने का सपना देखते थे।
विधु विनोद चोपड़ा ने याद किया कि आनंद के एक करीबी ने उनके लिए सहयोग का आश्वासन दिया था। हालांकि, महीनों के इंतजार के बाद भी वह पत्र नहीं आया। यह अनुभव उनके रचनात्मक सफर में एक बड़ा सबक बन गया।
विधु विनोद चोपड़ा ने अपनी पहली फिल्म खामोश के संघर्षों का उल्लेख करते हुए बताया कि एनएफडीसी की सहायता से बनी इस फिल्म को बाजार में उतारने और एनएफडीसी को पैसे लौटाने में उन्हें किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा। जब कोई वितरक उनकी फिल्म को लेने के लिए तैयार नहीं हुआ तो उन्हें खुद वितरक की भूमिका निभानी पड़ी।
मोइत्रा ने इस पर चर्चा करते हुए कहा कि परिणीता के संगीत की सफलता को लेकर भी ऐसे ही संदेह थे। उन्होंने यह भी साझा किया कि कैसे चोपड़ा ने उन्हें किसी परिणाम की परवाह किए बिना तीन और प्रोजेक्ट्स के लिए साइन किया। उन्होंने कहा, विधु विनोद चोपड़ा की खासियत यही है कि वह पहले ही विश्वास कर लेते हैं।
विधु विनोद चोपड़ा के व्यक्तित्व पर बात करते हुए शांतनु मोइत्रा ने मजाकिया अंदाज में कहा, विनोद को नहीं पता कि वह कहा जाना चाहते हैं लेकिन यह जरूर पता है कि वह कहा नहीं खड़ा होना चाहते। यह विशेषता कभी-कभी उनके साथ काम करने वालों की ज़िंदगी मुश्किल कर देती है।
व्यावसायिक संभावनाओं पर विचार करने के सवाल पर विधु विनोद चोपड़ा ने स्पष्ट किया कि वह केवल वही फिल्में बनाते हैं, जिन पर वह खुद विश्वास करते हैं। उन्होंने अपने 3ई सिद्धांत मनोरंजन, शिक्षण और उन्नति को अपने हर प्रोजेक्ट का मूल बताया।
सत्र के अंत में उन्होंने अपने निर्देशकों के साथ संबंधों पर प्रकाश डालते हुए कहा, मैं निर्देशक पर नहीं, बल्कि इंसान पर भरोसा करता हूं।
यह सत्र न केवल फिल्म निर्माण के तकनीकी पहलुओं को उजागर करता है, बल्कि एक रचनात्मक और दृढ़ विश्वास से भरे जीवन की प्रेरणा भी देता है। विधु विनोद चोपड़ा और शांतनु मोइत्रा की यह मास्टरक्लास 55वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव 2024 का यादगार हिस्सा बनी।
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(Udaipur Kiran) / लोकेश चंद्र दुबे