जयपुर, 22 अगस्त (Udaipur Kiran) । न्यायिक मजिस्ट्रेट क्रम-7 महानगर, द्वितीय ने घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम से जुडे मामले में निजी कंपनी में कार्यरत गुडगांव निवासी पति को पाबंद किया है कि वह पत्नी के साथ शारीरिक व मानसिक तौर पर घरेलू हिंसा नहीं करे। वहीं पत्नी को दैनिक जरूरतों व भरण-पोषण के लिए 24 हजार व दोनों बच्चों की देखभाल व शिक्षा के लिए 18-18 हजार रुपए सहित कुल 60 हजार रुपए हर महीने भुगतान करे। भरण-पोषण की यह राशि पत्नी को हर महीने की 10 तारीख तक दी जाए।
मामले से जुडे अधिवक्ता ने बताया कि प्रार्थिया की शादी नवंबर 2009 में अप्रार्थी के साथ हुई थी। शादी के समय उन्होंने ससुराल पक्ष को नगदी, जेवरात व अन्य सामान दिया, लेकिन शादी के बाद से ही पति व सास सहित अन्य लोग उसे दहेज के लिए मानसिक व शारीरिक तौर पर प्रताडित करने लगे। गर्भावस्था के दौरान भी उसे ना तो पौष्टिक खाना दिया और ना ही इलाज ही कराया। नवंबर 2010 में बेटे के जन्म के समय भी पूरा खर्चा उसके पिता व पीहर पक्ष ने ही वहन किया। इस दौरान उसके जेवरात को भी ससुराल वालों ने खुर्द-बुर्द कर दिया। पति के फ्लैट खरीदने के दौरान भी उन्होंने उसे रुपए दिए, लेकिन फिर भी उसे प्रताडित करते रहे। दूसरे बेटे के जन्म के समय भी पूरा खर्चा पीहर वालों ने ही उठाया। पति अपनी मां के साथ मिलकर उसे लगातार प्रताडित करता रहा और 27 लाख रुपए की मांग की। इससे परेशानी होकर प्रार्थिया जयपुर अपने पिता के पास आकर रहने लगी। उसका पति 2.50 लाख रुपए हर महीने कमाता है। इसलिए उसे खुद व बच्चों के लिए हर महीने पति से भरण-पोषण राशि दिलाई जाए। जवाब में पति ने कहा कि उसने पत्नी के साथ मारपीट नहीं की है और ना ही दहेज की मांग की है। पत्नी निजी बैंक में नौकरी करती है। इसलिए पत्नी का परिवाद खारिज किया जाए। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने पति को हर माह पत्नी को भरण पोषण राशि देने को कहा है।
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(Udaipur Kiran)