जयपुर, 28 सितंबर (Udaipur Kiran) । जयपुर मेट्रो-प्रथम की फैमिली कोर्ट-4 ने पत्नी व बेटी को भरण-पोषण राशि देने से जुड़े मामले में रिटायर पति की ओर से अपने शपथ पत्र में कम आय बताने और तथ्य छिपाने को गंभीर माना है। वहीं कोर्ट के पेशकार को निर्देश दिया है कि वे पति के खिलाफ शपथ पत्र में तथ्यों को छिपाने सहित अन्य आरोप में जयपुर मेट्रो-प्रथम की सीएमएम कोर्ट में परिवाद दायर करें।
कोर्ट के जज पवन कुमार ने आदेश में कहा पति ने अपने शपथ पत्र में एफडीआर से मिल रही ब्याज की रकम को छिपाया है और ऐसा इस आशय से किया, ताकि वह पत्नी को कम भरण-पोषण की राशि दे सके। ऐसे में अप्रार्थी के खिलाफ विधिक कार्रवाई किया जाना न्यायाेचित है। वहीं पति को निर्देश दिया है कि वह प्रार्थिया पत्नी को हर महीने 9000 रुपये व बेटी को 7000 रुपये यानि कुल 16 हजार रुपये भरण-पोषण भत्ते की राशि दे। यह राशि परिवाद दायर करने की तारीख एक जुलाई 2021 से एक मुश्त दी जाएगी और उसके बाद हर महीने की 10 तारीख को भुगतान की जाए। मामले से जुड़े अधिवक्ता डीएस शेखावत ने बताया कि प्रार्थिया की शादी 2008 में हुई थी। इसके बाद पति ने उसे 2010 में घर से निकाल दिया। प्रार्थिया ने भरण-पोषण राशि देने के लिए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दायर किया। जिस पर कोर्ट ने 18 अक्टूबर 2016 के आदेश से पति को उसे 9000 रुपये भरण-पोषण राशि देने का निर्देश दिया। बाद में प्रार्थिया ने 2021 में इस राशि को बढ़वाने के लिए पुन: प्रार्थना पत्र दायर किया और खुद व बेटी के लिए हर महीने 40 हजार रुपये मांगे, लेकिन कोर्ट में पति ने शपथ पत्र में कम आय बताई, जबकि प्रार्थिया की ओर से उसकी ब्याज से मिलने वाली आय की जानकारी दी। पति के तथ्य छिपाने को कोर्ट ने गंभीर माना।
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(Udaipur Kiran)