कोलकाता, 27 मई (Udaipur Kiran) ।बर्धमान मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में डॉक्टरों की एक टीम ने चार घंटे लंबी जटिल सर्जरी कर एक 18 वर्षीय युवती की जान बचा ली। युवती के पूरे पेट में अलग-अलग आकार के सैकड़ों ‘हाइडाटिड सिस्ट’ पाए गए थे, जिन्हें सफलतापूर्वक निकालकर अस्पताल ने राज्य में दूसरी बार इस तरह की दुर्लभ सर्जरी को अंजाम दिया।
अस्पताल सूत्रों के अनुसार, कुछ सप्ताह पहले बर्धमान की रहने वाली 18 साल की युवती पेट फूलने, भूख न लगने और कमजोरी की शिकायत लेकर अस्पताल आई थी। शुरुआती जांच के बाद की गई यूएसजी और सीटी स्कैन से पता चला कि उसके पेट के भीतर ‘हाइडाटिड सिस्ट’ नामक परजीवीजनित सिस्ट पूरे पेट में फैले हुए हैं।
‘हाइडाटिड सिस्ट’ आमतौर पर घरेलू पशुओं जैसे कुत्ते, बकरी या भेड़ से फैलने वाला परजीवी संक्रमण होता है। इसके अंडे या लार्वा यदि अच्छी तरह न धोई गई कच्ची सब्जियों जैसे गाजर, चुकंदर, शलजम, शलाद आदि के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाएं, तो वे अंदर जाकर तरल से भरे बबल की तरह सिस्ट में बदल जाते हैं। आमतौर पर ये सिस्ट लिवर या फेफड़ों में होते हैं, लेकिन इस मामले में पूरे पेट में इनका फैलाव देखा गया।14 मई को हुई इस जटिल सर्जरी में सर्जन डॉ. नाज़मस सज्जाद जमादार और डॉ. कुशल चट्टोपाध्याय के नेतृत्व में ऐनेस्थीसिया विभाग के तीन विशेषज्ञ—डॉ. सुमंत घोषमौली, डॉ. बिकाश विषयी और डॉ. सौमेन मंडल—की अहम भूमिका रही। ऑपरेशन चार घंटे चला और सैकड़ों की संख्या में सिस्ट निकाले गए।
हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ. तापस घोष ने बताया, इस तरह की सर्जरी अत्यंत जोखिमपूर्ण होती है। थोड़ी सी भी गलती जानलेवा हो सकती थी। हमारी टीम ने बेहद दक्षता और संयम से काम लिया। यह राज्य का दूसरा मामला है और बर्धमान मेडिकल कॉलेज में पहला। मरीज अब खतरे से बाहर है और दो-तीन दिनों में डिस्चार्ज कर दिया जाएगा।
डॉ. जमादार ने कहा, हाइडाटिड सिस्ट आमतौर पर शरीर के विशेष हिस्सों में होते हैं। लेकिन इस मामले में सिस्ट पूरे पेट में फैले थे, जो इसे बेहद दुर्लभ और जटिल बना रहा था।
डॉ. कुशल चट्टोपाध्याय ने लोगों को सतर्क करते हुए कहा, कच्ची सब्जियां खाने से पहले उन्हें अच्छी तरह धोना जरूरी है। यही संक्रमण का मुख्य जरिया है। थोड़ी सी लापरवाही भारी पड़ सकती है।
(Udaipur Kiran) / अनिता राय
