हरिद्वार, 14 दिसंबर (Udaipur Kiran) । वेद और गीता ही ईश्वरीय वाणी हैं, जिनमें संपूर्ण मानवता को समान दृष्टि से देखा गया है, इसीलिए इन धर्म ग्रंथाें का स्थान अन्य धार्मिक ग्रंथों से ऊंचा है। उक्त उद्गगार हैं श्रीगीता विज्ञान आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज के, जिन्होंने प्रयागराज महाकुंभ में मानवतावादी राष्ट्रधर्म के प्रचार-प्रसार की प्रस्तावना तैयार करते हुए व्यक्त किए।
वेदों को निराकार और गीता को साकार भगवान श्रीकृष्ण की वाणी बताते हुए कहा कि इन ग्रंथो में न तो किसी जाति या धर्म का उल्लेख है न ही किसी की आलोचना, क्योंकि भगवान ने सभी को एक समान बनाया है। समाज में जो धार्मिक आधार पर वर्गीकरण दिखाया जा रहा है यह इंसानी करामात है, भगवान ने तो संपूर्ण ब्रह्मांड की रचना की है, देश और महाद्वीपों में बांटने का काम इंसान ने अपने हिसाब से किया है। गीता में किसी जाति या वर्ग का भी उल्लेख नहीं है, अलबत्ता विद्वान शब्द का ही प्रयोग किया गया है । सच्चा धर्म भी वही होता है जो सभी को समान दृष्टि से देखे और किसी से भी भेदभाव न करें।
वेद वेदांत और गीता की प्रासंगिकता को वर्तमान की सबसे बड़ी आवश्यकता बताते हुए उन्होंने कहा कि प्रयागराज का महाकुंभ निश्चित ही संपूर्ण मानवता को एक नया संदेश देगा और पूरा विश्व यदि भारत का अनुसरण करेगा तो मानवता और सार्वजनिक संपत्ति के विनाश के लिए विश्व के अनेकों देश में चल रहे युद्धों पर विराम लगेगा और पूरे विश्व में वर्चस्व की जंग पर पूर्णतः रोक लग जायेगी तथा सर्वे भवंतु सुखिनः वाली संस्कृति का समावेश होगा। प्रयागराज महाकुंभ कैंप की तैयारी समिति को रवाना करते हुए उन्होंने कहा कि श्रीपंचायती अखाड़ा निरंजनी का यह कैंप वेद और गीता के प्रचार-प्रसार में अपनी अलग पहचान बनाएगा तथा गंगा तट से किए गए धर्म कर्म सहस्र गुना अधिक पुण्यफलदायी होते हैं । उन्होंने सभी देशवासियों से प्रयागराज महाकुंभ में गंगा स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित करने की अपील की है।
(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला