

हिसार, 12 मार्च (Udaipur Kiran) । आध्यात्मिक गीता ज्ञान प्रचारिणी सभा एवं समस्त हरि शरणम् परिवार के तत्वाधान में रामपुरा मोहल्ला के गीता भवन मंदिर में आयोजित ब्रह्म ज्ञान सत्संग का समापन हो गया। अंतिम दिन कथा व्यास हिमालय तपस्वी परमहंस गंगेनंदन महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रवचन दिए। समापन कार्यक्रम में प्रवचन देते हुए कथा व्यास गंगेनदन महाराज ने बुधवार को कहा कि आज जिनकी पूजा हो रही है, वे ही केवल ज्ञान को प्राप्त हुए हैं। बाकी सभी तो अज्ञानी है। ज्ञान व दीवानगी कुछेक विरलों को ही प्राप्त होती है। अपने ही कर्मों से मनुष्य अपना पतन व सर्वनाश करता है। चाहे वह कितना ही धनवान या पदवान हो। जिसने परमात्मा को जान लिया, वह किसी को भी उसी अवस्था में ले जा सकता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह धुम्रपान करने वाले के पास बैठने वाला भी प्रभावित होता है। ठीक उसी तरह ज्ञानी या ब्रह्म ज्ञानी के सम्पर्क में आने से मनुष्य का जीवन तर जाता है। अनुभव से ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। जो धर्म प्रदर्शन के लिये है, वह धर्म नहीं है। धर्म तो जीने के लिये है। आज लोग अपने धर्म को भूलते जा रहे हैं। अज्ञानता के कारण मनुष्य छल-कपट से भरा हुआ है। मनुष्य दूसरों को धोखा देकर स्वयं अपने आपको धोखा दे रहा है। यही मनुष्य के दुख का सबसे बड़ा कारण है। हमें अपने कर्मों के हिसाब का फल मिलता है। मनुष्य का आचरण सही होना चाहिये। संत वही है, जिसने अपने अनुभव से ईश्वर को प्राप्त किया है। सत्संग में सत्यनारायण शर्मा, एडवोकेट, सुरेन्द्र पंवार, भतेरी, सुरेन्द्र बंसल, महाबीर शर्मा, सुभाष कालड़ा, दयानंद, पवन गोयल, सुनील मेहता, गुरचरण लाल, डॉ. विशाल शर्मा, मिनाक्षी, सुशीला सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।
(Udaipur Kiran) / राजेश्वर
