स्वाभिमान अध्ययन केंद्र एवं छात्रावास में आयोजित हिसार, 12 जनवरी (Udaipur Kiran) । ओशाे सिद्धार्थ फाउंडेशन के तत्वाधान में समर्थगुरू हिसार संघ ने अपने कौशिक नगर स्थित साधना केंद्र में रविवार के ध्यान में आचार्य दिनेश ने विपश्यना ध्यान करवाया। उन्होंने बताया कि विपश्यना ध्यान ने मानव जीवन को सच्चे सुख और शांति की ओर प्रवृत्ति किया है, जिसका अर्थ है ‘खुद को देखना। विपश्यना ध्यान का मुख्य उद्देश्य आत्मा के अंदर की गहराईयों में जाकर सत्यता की प्राप्ति करना है। इस ध्यान पद्धति के माध्यम से, व्यक्ति अपने चित्त को शांत, स्थिर और एकाग्रचित्त में लेकर जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने का प्रयास करता है। विपश्यना ध्यान का अभ्यास करने के लिए व्यक्ति को एक सुखद और शांतिपूर्ण स्थान चुनना चाहिए जहां वह बिना किसी अफरा-तफरा के अपनी आत्मा की खोज में रत रह सके। यह ध्यान आत्मा के अंदर की गहराईयों में जाने का माध्यम होता है जिससे व्यक्ति अपने स्वार्थ, अवस्था, और जीवन के मूल्यों को समझ सकता है। विपश्यना ध्यान का अभ्यास करने से व्यक्ति को मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं को देखने की क्षमता मिलती है। इसके माध्यम से वह अपनी आत्मा को जानकर अपने आप को आत्मसमर्पण करने का अनुभव करता है और सच्चे आनंद का स्रोत खोजता है। विपश्यना ध्यान का अभ्यास करने से मानव को सामंजस्य, साहस और शांति का अहसास होता है। यह व्यक्ति को उसके आत्मा के साथ सबसे मिलनसर होने का अहसास कराता है, जिससे उसे दुनिया के साथ एक सहज और निर्भीक संबंध बना सकता है। ध्यान के बाद समर्थगुरू हरियाणा संघ के संयोजक आचार्य सुभाष ने साधकों को सम्बोधित करते हुए बताया कि संघ के कार्यक्रम वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टि से प्रमाणिक है और ध्यान को घर-घर तक पहुंचाने के उद्देश्य से हर सप्ताह पूरे देश में ध्यान योग का कार्यक्रम तय किया गया है।
(Udaipur Kiran) / राजेश्वर