

विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग की दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के
उद्घाटन समारोह में दिया गया सम्मान
हिसार, 26 मार्च (Udaipur Kiran) । गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय
के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई को सतत विकास एवं पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में
उनके योगदान के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया है। कुलपति प्रो. नरसी राम
बिश्नोई को यह अवार्ड विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के सौजन्य से विश्वविद्यालय
के चौधरी रणबीर सिंह सभागार में बुधवार से शुरु हुई दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन
समारोह में दिया गया है।
‘बिल्डिंग सस्टेनेबल ओर्गनइजेशनल : साइकोलॉजिकल इश्यूज एंड
चैलेंजिज’ विषय पर हो रही इस
संगोष्ठी के मुख्यातिथि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. आरपी बाजपेयी थे जबकि
अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने की। रांची इंस्टीट्यूट
ऑफ न्यूरो साइकेट्री एंड एलाइड साइंसिज, रांची झारखंड के प्रो. अमोल रंजन सिंह मुख्य
वक्ता तथा सोसायटी ऑफ इंडस्ट्रियल एंड ओर्गनइजेशनल साइकोलॉजी (एसओआईओपी) के अध्यक्ष
प्रो. एपी सिंह विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
मुख्य अतिथि प्रो. आरपी बाजपेयी ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्र के निर्माण
में मनोविज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका है। मनोविज्ञान आपके विचारों में आधारभूत परिर्वतन
लाने का सहायक बन सकता है। उन्होंने कहा कि देश के सरकारी और निजी हर संस्थान में एक
मनोवैज्ञानिक की नियुक्ति होनी चाहिए। इससे न केवल संस्थानों के कर्मचारियों को मानसिक
संतुलन बनाए रखने में सहायता मिलेगी साथ ही रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। उन्होंने प्रतिभागियों
से कहा कि अपनी सोच का दायरा बढ़ाएं। नए उत्पादों का उत्पादन करें तथा अपने उत्पादों
को पेटेंट करवाकर राष्ट्र निर्माण में योगदान दें। वर्तमान समय में विज्ञान गतिविधियों
का एक नया समूह है और मनोविज्ञान सुपर साइंस है।
गुरु जम्भेश्वर जी महाराज के 19 नियमों में सतत विकास के सिद्धांत : प्रो.
नरसी राम बिश्नोई
कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने अपने सम्बोधन में कहा कि यूएनओ ने प्राकृति
एवं पर्यावरण संरक्षण से संबंधित सतत विकास के जिन 17 उद्देश्यों का निर्धारण किया
है, वे उद्देश्य गुरु जम्भेश्वर जी महाराज के 29 नियमों में पहले से ही स्थापित हैं।
उन्होंने कहा कि यदि हम सतत विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में कार्य करना
चाहते हैं तो हमें संगठनों में मानसिक स्वास्थ्य, मनोविज्ञान स्थिरता और समावेशी संस्कृति
को प्राथमिकता देनी होगी।
(Udaipur Kiran) / राजेश्वर
