मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केन्द्र की ओर से चलाए गए फैकल्टी इंडक्शन कार्यक्रम का समापनहिसार, 12 दिसंबर (Udaipur Kiran) । यहां के गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा है कि विकसित भारत के मिशन को पूरा करने में शिक्षकों की अग्रणी भूमिका रहेगी। वर्तमान विद्यार्थियों के कंधों पर ही कुछ साल के बाद राष्ट्र संचालन की जिम्मेदारी होगी। उनके द्वारा आज ग्रहण किया गया कौशल ही कल राष्ट्र की प्रगति का आधार बनेगा। प्रो. नरसी राम बिश्नोई गुरुवार को विश्वविद्यालय के मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केन्द्र (एमएमटीटीसी) के सौजन्य से चार सप्ताह तक चले फैकल्टी इंडक्शन कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। ऑनलाइन माध्यम से हुए इस समारोह की अध्यक्षता एमएमटीटीसी की निदेशिका प्रो. सुनीता रानी ने की। इस अवसर पर एमएमटीटीसी के उप निदेशक डा. हरदेव सिंह, कार्यक्रम समन्वयक प्रो. वंदना पूनिया व डा. अनुराग सांगवान व उपस्थित रहे।प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा कि वर्तमान समय में तकनीक तेजी से बदल रही है। शिक्षकों को बदलती तकनीकों से अपडेट रहना जरूरी है। उन्होंने शिक्षकों से कहा कि बदलते युग में चुनौतियां भी बढ़ी हैं। इन चुनौतियों से सजग रहना भी जरूरी है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एक क्रांतिकारी कदम है। यह नीति विकसित भारत के मिशन में अत्यंत उपयोगी रहेगी। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को औपचारिक शिक्षा के साथ-साथ अन्य गतिविधियों में भी शामिल करें ताकि उनकी ऊर्जा का भरपूर प्रयोग हो सके तथा उनका कौशल विकसित हो सके। प्रो. सुनीता रानी ने बताया कि यह कार्यक्रम राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के गुरु दक्षता अभियान के प्रति शिक्षकों को जागरूक करने का एक हिस्सा था। कार्यक्रम के दौरान शिक्षकों को शिक्षा से संबंधित 21वीं सदी की चुनौतियों से भी अवगत कराया गया। इस कार्यक्रम में देशभर से 28 प्रतिभागियों ने भाग लिया। उन्होंने प्रतिभागियों से कहा कि वे चार सप्ताह तक चले इस कोर्स के दौरान प्राप्त नई जानकारियों, अनुभवों तथा कौशल ज्ञान को अधिक से अधिक अपने विद्यार्थियों तक प्रेषित करें। प्रो. वंदना पूनिया ने कार्यक्रम की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की तथा बताया कि कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागी शिक्षकों ने अत्यंत उत्साह एवं अनुशासन का परिचय दिया। डा. अनुराग सांगवान ने समापन समारोह का संचालन किया तथा सभी काा धन्यवाद किया। इस अवसर पर प्रतिभागियों में से डा. राम नरेश, डा. अल्का तोमर, डा. साक्षी जैन, डा. सुशील कुमार, डा. कविता बहमनी, डा. सुरेन्द्र मिश्रा, डा. राजशिक सेन, डा. जूनीबर्थ संगमा, डा. बिंदू थोमस, डा. रणजीत सहरावत तथा डा. जयदेव बिश्नोई ने भी कार्यक्रम के बारे में अपने अनुभव साझा किए।
(Udaipur Kiran) / राजेश्वर