हिसार, 6 अक्टबूर (Udaipur Kiran) । ओशो सिद्धार्थ फाउंडेशन के तत्वाधान में ओशोधारा मैत्री संघ के कौशिक नगर स्थित साधना केंद्र में संडे ध्यान का आयोजन किया गया।
इसमें आचार्य मां साक्षी ने संजीवनी ध्यान करवाया।आचार्य मां साक्षी ने बताया कि संजीवनी ध्यान का अर्थ होता है जीवन का समर्थन या जीवन की ऊर्जा का संग्रह। यह एक प्रमुख ध्यान पद्धति है, जो साधकों को मानसिक शांति, आत्मा का समर्थन और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन करती है।
इस ध्यान पद्धति का उद्दीपन मुख्य रुप से भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक परम्पराओं से हुआ है और यह ध्यान साधने वाले को शांति, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति का उत्कृष्ट अनुभव करने का उद्देश्य रखता है।
यह ध्यान विभिन्न आसन, प्राणायाम, मुद्राएं और मन को नियंत्रित करने के तकनीकों का समाहित मिश्रण है। साधक इस ध्यान के माध्यम से अपने मन को नियंत्रित करता है और आत्मा के साथ संयोजन प्राप्त करता है। इस ध्यान पद्धति में मुद्राएं भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
मुद्राएं हाथ, आंख और शरीर के विशिष्ट स्थानों के विशेष आसनों को कहा जाता है, जो मानव शरीर की ऊर्जा को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। संजीवनी ध्यान का प्रशिक्षण ध्यान गुरुओं द्वारा दिया जाता है, जो अपने शिष्यों को ध्यान की शिक्षा और मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
ध्यान के बाद ओशोधारा हरियाणा के संयोजक आचार्य सुभाष ने साधकों को सम्बोधित करते हुए बताया कि ओशोधारा के कार्यक्रम वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टि से प्रामाणिक है। ध्यान को घर-घर तक पहुंचाने के उद्देश्य से हर सप्ताह पूरे देश में ध्यान योग का कार्यक्रम तय किया गया है और 25 से 27 अक्तूबर को तीन दिवसीय ध्यान योग के कार्यक्रम का पूरे देश में एक साथ 30 जगहों पर आयोजन किया जाएगा।
(Udaipur Kiran) / राजेश्वर