Haryana

हिसार : गैर-सरकारी संगठन एमडीडी ऑफ़ इंडिया ने की विशेष त्वरित अदालतों के गठन की मांग

हिसार, 11 सितंबर (Udaipur Kiran) । हरियाणा में बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए काम कर रहे गैर सरकारी संगठन एमडीडी ऑफ़ इंडिया ने बलात्कार व यौन शोषण के पीड़ितों को शीघ्रता से न्याय दिलाने के लिए राज्य सरकार से नई विशेष त्वरित अदालतों के गठन की दिशा में तत्काल कदम उठाने की अपील की है।

एमडीडी ऑफ़ इंडिया के निदेशक सुरेंद्र मान ने बताया कि इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन की रिपोर्ट ‘फास्ट ट्रैकिंग जस्टिस : रोल ऑफ फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट्स इन रिड्यूसिंग केस बैकलॉग्स’ में यह तथ्य उजागर हुआ है कि फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट्स यानी विशेष त्वरित अदालतें ही बलात्कार व यौन शोषण के पीड़ितों को शीघ्रता से न्याय दिलाने का एकमात्र रास्ता हैं। उन्होंने बताया कि रिपोर्ट को नई दिल्ली में एक तीन दिवसीय कार्यशाला में जारी किया गया। इस रिपोर्ट में सभी फास्ट ट्रैक स्पेशल अदालतों (एफटीएससी) को संचालित रखने के अलावा एक हजार नई विशेष अदालतों की स्थापना की सिफारिश की गई है। रिपोर्ट के अनुसार इन विशेष अदालतों में मामलों के निपटारे की दर 83 प्रतिशत रही जबकि अन्य अदालतों में सिर्फ 10 प्रतिशत ही रही। ध्यान देने वाली बात यह है कि हरियाणा राज्य में 123 विशेष त्वरित अदालतों के गठन की स्वीकृति है लेकिन महज तीन अदालतें ही काम कर रही हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा विशेष अदालतों में कामकाज सुचारु रूप से जारी रखने और नई विशेष अदालतों के गठन के लिए निर्भया फंड की अप्रयुक्त राशि का उपयोग किया जा सकता है। रिपोर्ट कहती है कि निर्भया फंड में 1700 करोड़ रुपए की अप्रयुक्त राशि बची हुई है जबकि नई अदालतों को दो साल तक चलाने के लिए 1302 करोड़ रुपए की ही जरूरत है।

प्रख्यात बाल अधिकार कार्यकर्ता और बाल विवाह मुक्त भारत के संस्थापक भुवन ऋभु ने कहा कि यह एक बेहद अहम क्षण है जब हमें अपने बच्चों व महिलाओं की सुरक्षा व संरक्षण में निवेश करना चाहिए और अगले तीन साल में सभी लंबित मामलों के निपटारे के लिए एक हजार विशेष त्वरित अदालतों के गठन से हम पीड़ितों के लिए न्याय का अधिकार सुनिश्चित कर सकते हैं।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर

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