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हिसार, 19 जनवरी (Udaipur Kiran) । सन 1857 की क्रांति में लाला हुकुमचंद जैन ने बेहद
कम संसाधनों के बल पर अंग्रेजी सरकार के खिलाफ आजादी की जंग लड़ी थी। यह बात स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी कल्याण संगठन के संस्थापक महेन्द्र
पाल सिंह यादव ने रविवार को महान स्वतंत्रता सेनानी लाला हुकुमचंद जैन के बलिदान दिवस
पर श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कही। उन्होंने बताया कि लाला हुकम चंद जैन ने फारसी
भाषा में एक पत्र लिखकर बादशाह बहादुर शाह जफर से मदद मांगी।
यह गुप्त पत्र अंग्रेजों
के हाथ लग गया। इसके आधार पर अंग्रेजी सरकार ने लाला हुकुमचंद जैन और उनके सहयोगी मुनीर
बेग को उनके घर के सामने ही 19 जनवरी 1858 को फांसी पर लटका दिया। लाला हुकुमचंद के
भतीजे फकीरचंद को अदालत से बरी होने के बाद भी फांसी दे दी गई। लाला हुकुमचंद जैन के
शव को दफनाया जबकि मुनीर बेग के शव को जलाया गया था। इस अवसर पर सुरजभान बामला, रणबीर सांगवान, चत्तर जीताखेड़ी, धर्मपाल ग्रेवाल,
बिजेन्द्र कोंट, सुरेश किराड़, रामअवतार गुप्ता, राजेश रोहनात, रामपाल यादव, जशबीर
फौजी, प्रकाश धनाना समेत अनेक सदस्य उपस्थित रहे।
(Udaipur Kiran) / राजेश्वर
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