Haryana

हिसार : कुंडलिनी ध्यान आत्मज्ञान व आध्यात्मिक उन्नति की ओर एक मार्ग : आचार्य रविन्द्र

कौशिक नगर स्थित साधना केंद्र में आयोजित ध्यान कार्यक्रम में भाग लेते साधक।

हिसार, 15 दिसंबर (Udaipur Kiran) । ओशो सिद्धार्थ फाउंडेशन के तत्वाधान में ओशोधारा मैत्री संघ ने अपने कौशिक नगर स्थित साधना केंद्र में संडे ध्यान का कार्यक्रम आयोजित किया। आज का सेशन ओशोधारा के आचार्य रविंद्र ने लिया जिसमें उन्होंने कुंडलिनी ध्यान करवाया। आचार्य रविन्द्र ने कुंडलिनी ध्यान करवाते हुए कहा कि कुंडलिनी ध्यान एक प्रकार का योग और ध्यान है जो कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने के लिए किया जाता है। कुंडलिनी शक्ति एक आध्यात्मिक ऊर्जा है जो हमारे शरीर में रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में स्थित होती है। इस शक्ति को जागृत करने का उद्देश्य आत्मज्ञान प्राप्त करना और आत्मिक उन्नति करना है। कुंडलिनी शब्द संस्कृत शब्द कुंडल से उत्पन्न हुआ है, जिसका अर्थ होता है लकड़ी का खाम। कुंडलिनी ध्यान के द्वारा, योगी की प्राणिक शक्तियां (प्राणवायु) जगत और उनके शरीर में धारण किए गए ऊपरी चक्रों के माध्यम से शक्ति के संचार को ऊर्जा के संचार में परिणत करती हैं। इस ध्यान के माध्यम से मानसिक शांति और आत्मज्ञान का अभ्यास किया जाता है। तीसरे चरण में, कुंडलिनी ऊर्जा को जागृत करने का अभ्यास किया जाता है। इस अभ्यास में, योगी कुंडलिनी ऊर्जा को सुषुम्ना नाड़ी के माध्यम से ऊपरी चक्रों में ले जाने के लिए विभिन्न प्राणायाम, मंत्र और ध्यान की तकनीकों का उपयोग करता है।कुंडलिनी ध्यान के प्रकार और तकनीकें विभिन्न हो सकती हैं और यह आध्यात्मिक गुरु या आध्यात्मिक शिक्षक के मार्गदर्शन में किया जाता है। यह ध्यान प्रणाली शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए प्रभावी मानी जाती है, लेकिन इसे अनुभव करने के लिए धैर्य, समर्थन और प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। ध्यान के बाद ओशोधारा हरियाणा के संयोजक आचार्य सुभाष ने साधकों को सम्बोधित करते हुए बताया कि ओशोधारा के कार्यक्रम वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टि से प्रमाणिक है और ध्यान को घर-घर तक पहुंचाने के उद्देश्य से हर सप्ताह पूरे देश में ध्यान योग का कार्यक्रम तय किया गया है और 7 से 9 फरवरी को सेक्टर 14 स्थित बुधला संत मंदिर में तीन दिवसीय ध्यान योग के कार्यक्रम किया जाएगा।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर

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