Haryana

हिसार: हमें आत्मनिर्भरता व समावेशी विकास के लिए प्रेरित करता विकसित भारत @2047 का लक्ष्य : प्रो. नरसी राम बिश्नोई

संगोष्ठी का उद्घाटन करते कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई।
संगोष्ठी में स्मारिका का विमोचन करते मुख्यातिथि कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई एवं मंच पर उपस्थित अन्य अतिथिगण।
संगोष्ठी में स्मारिका का विमोचन करते मुख्यातिथि कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई एवं मंच पर उपस्थित अन्य अतिथिगण।

देश के युवा, शिक्षक व शोधकर्ता इस दिशा में दे सकते अपना अग्रणी योगदान

हिसार, 18 मार्च (Udaipur Kiran) । गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा कि विकसित भारत @ 2047 का लक्ष्य हमें आत्मनिर्भरता, समावेशी विकास और स्थिरता के लिए प्रेरित करता है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए संसाधन प्रबंधन, तकनीकी नवाचार और जलवायु से संबंधित चुनौतियों में सामंजस्यपूर्ण एकीकरण की आवश्यकता है। देश के युवा, शिक्षक व शोधकर्ता इस दिशा में अपना अग्रणी योगदान दे सकते हैं।

प्रो. नरसी राम बिश्नोई मंगलवार को भूगोल विभाग के सौजन्य से विश्वविद्यालय के चौधरी रणबीर सिंह सभागार में ‘संसाधन, प्रौद्योगिकी एवं जलवायु : विकसित भारत @ 2047 के लिए सतत दृष्टिकोण’ विषय पर हुई एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा कि शिक्षण संस्थानों की भी विकसित भारत के सपने को साकार करने में मुख्य भूमिका रहेगी। गुजविप्रौवि जैसे शिक्षण संस्थान युवा पीढ़ी को आधुनिक दुनिया की चुनौतियों को समझने तथा उनका सामना करने के लिए आवश्यक ज्ञान, कौशल और नैतिक आधार से लैस करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने संगोष्ठी के प्रतिभागियों से कहा कि वे हमारी प्राकृतिक विरासत के संरक्षण का संकल्प लें तथा विकास को बढ़ावा देने और जीवन की गुणवत्ता के सुधार के लिए तकनीकी प्रगति का प्रयोग करें। कुलपति ने ऐसी नीतियां लागू करने की वकालत की जो पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देती हों।

समारोह की अध्यक्षता हरियाणा स्कूल आफ बिजनेस के निदेशक एवं भूगोल विभागाध्यक्ष प्रो. विनोद कुमार बिश्नोई ने की। संगोष्ठी में पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के भूगोल विभाग के प्रो. गौरव कलोत्रा मुख्य वक्ता के रूप में जबकि कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के प्रो. एसपी कौशिक विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। प्रो. रामसिंह बेनीवाल संगोष्ठी के सह-संयोजक तथा डा. विनोद कुमार व अरविंद शर्मा आयोजन सचिव थे। मुख्य वक्ता प्रो. गौरव कलोत्रा ने अपने विशेष व्याख्यान में संसाधन प्रौद्योगिकी, जलवायु परिवर्तन और सतत विकास के आपसी संबंधों पर प्रकाश डाला और वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत की भूमिका का विश्लेषण किया। विशिष्ट अतिथि प्रो. एसपी कौशिक ने प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन, जलवायु अनुकूलन रणनीतियों और नवाचारों के उपयोग पर अपने अनुभव सांझा किए। साथ ही उन्होंने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और उनके समाधान के लिए नवीनतम तकनीकों को प्रस्तुत किया।विभागाध्यक्ष प्रो. विनोद कुमार बिश्नोई ने अपने स्वागत संबोधन में विभाग की गतिविधियों की विस्तृत जानकारी दी तथा कहा कि संगोष्ठी का विषय अत्यंत उपयोगी है। यह प्रतिभागियों के लिए लाभदायक साबित होगा। सम्मेलन में प्रस्तुत विचार और शोध निष्कर्ष ‘विकसित भारत@2047’ के विजन को साकार करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन शिक्षाविदों और नीति-निर्माताओं के बीच संवाद स्थापित करने के साथ-साथ विद्यार्थियों को नई शोध संभावनाओं की ओर प्रेरित करने में सफल रहेगा।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर

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