Haryana

हिसार : ख्वाबों को भी उड़ते देखा है, नवाबों को भी उजड़ते देखा है…

काव्य गोष्ठी में उपस्थित अतिथि व कवि।

-जनवादी सांस्कृतिक काव्य मंच मासिक काव्य गोष्ठी में कवियों ने रखे विचार

हिसार, 24 नवंबर (Udaipur Kiran) । जनवादी सांस्कृतिक काव्य मंच की मासिक काव्य गोष्ठी कुम्हार धर्मशाला बरवाला हुई। इस गोष्ठी का संचालन रीतु रुत ने किया जबकि अध्यक्षता सुशीला बहबलपुर ने की।

जनवादी सांस्कृतिक काव्य मंच के अनुसार जनवादी लेखक संघ बरवाला की मासिक काव्य गोष्ठी हर महीने के अंतिम रविवार को कुम्हार धर्मशाला बरवाला में नियमित रूप से की जाती है। काव्य गोष्ठी से पहले साहित्यिकार व सामाजिक कार्यकर्ता सुरेन्द्रपाल सिंह को जनवादी लेखक संघ बरवाला इकाई ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। सुरेन्द्र पाल सिंह विचारशील, सामाजिक सरोकारों से ओतप्रोत संवेदनशील व्यक्तित्व के धनी थे। सुरेंद्र पाल विद्यार्थी जीवन में ही प्रगतिशील मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध हो गए थे। पूरा जीवन सामाजिक न्याय, वैज्ञानिक मानसिकता और मानवतावादी विचारों की पक्षधरता के साथ उन्होंने लेखन किया और एक सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका निभाई। ज्ञान-विज्ञान आंदोलन में भी उनकी भागीदारी रही। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से वो हमारे बीच नहीं रहे। इसके बाद हुई काव्यगोष्ठी में कवियों ने काव्य पाठ किया। हिन्दी कवि व जनवादी लेखक संघ से जुड़े डॉ. कपिल भारद्वाज ने ‘दिसम्बर’ शीर्षक कविता पेश करते हुए कहा पिछले दिसम्बर में तुम नहीं थी, तो मेरे पास क्या था गिलहरी। आंखों में भरी अजनबियत,पांवों में आवारगी की थकावट,और जीवन की बदसूरती।

मास्टर सुबेसिंह सुबोध ने अपनी रचना में कहा-ख्वाबों को भी उड़ते देखा है। नवाबों को भी उजड़ते देखा है। सामाजिक सरोकारों की कवयित्री सुशीला बहबलपुर ने अपने चिरपरिचित अंदाज में अपनी रचना को यूं सुनाया-खतरनाक होता है, सिर्फ अपने लिए जीना, और सब तरह की बेपरवाही। सरदानंद राजली ने अपनी कविता में वर्तमान जीवन शैली की आलोचना करते हुए कहा -दिल की नसें ब्लॉक हो रही है, हार्ट बीट बढ़ रही है। आलिशान जेलों का वातावरण होता जा रहा है दमघोटू। रीतु रुत ने अपनी कविता यूं पेश की-वो ये उजले कपड़े पहन कर तुम्हें ढेरों गालियां देते रहते हैं। ऋषिकेश राजली ने अपनी रचना सुनाते हुए कहा-दिव्यांग नाम नही विकलांग को‌ रोजगार चाहिए, दिनों दिन समाज और अपनी नजरों में गिरता हूँ,विकलांग हूँ कामयाबी के घर में खुले किवाड़ चाहिए। कार्यक्रम के अंत में वरिष्ठ साहित्यकार मास्टर रोहताश ने कविताओं पर विस्तृत टिप्पणी की।

इसके अलावा जनवादी मूल्यों के संरक्षक ऋषिकेश ने बताया कि 3 जनवरी को गांव राजली में सावित्री बाई फूले पुस्तकालय का उद्घाटन होगा। यह पुस्तकालय केवल लड़कियों के लिए होगा। आज की इस काव्य गोष्ठी में मास्टर रोहतास, सुशीला बहबलपुर, रीतु रुत, डॉ. कपिल भारद्वाज, सरदानंद राजली, सूबेसिंह सुबोध, ऋषिकेश राजली आदि शामिल रहे।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर

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