Haryana

हिसार : गुजवि के वैज्ञानिक प्रो. नरेश कुमार रावत ‘जेम्स मॉर्गन अर्ली करियर अवॉर्ड 2025’ से सम्मानित

पूर्व विद्यार्थी एवं वैज्ञानिक प्रो. नरेश कुमार रावत।

कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने दी वैज्ञानिक प्रो. रावत को बधाई

हिसार, 17 जनवरी (Udaipur Kiran) । गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय

के पूर्व विद्यार्थी व वैज्ञानिक प्रो. नरेश कुमार रावत को प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय

‘जेम्स मॉर्गन अर्ली करियर अवॉर्ड 2025’ से सम्मानित किया गया है। अमेरिकन केमिकल सोसायटी

के पर्यावरण केमिस्ट्री डिविजन के द्वारा दिया जाने वाला ये सम्मान प्रतिवर्ष विश्वभर

से उन वैज्ञानिकों को सम्मानित करता है, जो पर्यावरण के क्षेत्र में शोध में अग्रणी

एवं रचनात्मक कार्य कर रहे हैं।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.नरसी राम बिश्नोई ने शुक्रवार को प्रो. नरेश

कुमार रावत को जेम्स मोर्गन अर्ली करियर अवार्ड प्राप्त करने पर शुभकामनाएं दी हैं।

उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि न केवल विश्वविद्यालय के लिए गौरव का विषय है, बल्कि यह

भारत के वैज्ञानिक समुदाय की वैश्विक पहचान को भी मजबूत करती है। कुलपति प्रो. नरसी

राम बिश्नोई कुलपति ने आशा व्यक्त की कि प्रो. कुमार की यह सफलता अन्य शोधकर्ताओं और

विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।

कुलसचिव प्रो. विनोद छोकर ने यह उपलब्धि न केवल गुजविप्रौवि तथा वागेनिंगन

यूनिवर्सिटी के लिए, बल्कि भारत के वैज्ञानिक समुदाय के लिए भी गौरव का विषय है। डीन

प्रो. आशा गुप्ता ने कहा कि जीयोकेमिकल रेडॉक्स प्रक्रियाओं पर अपने शोध कार्य के लिए

दुनिया भर में जाने जाने वाले डॉक्टर नरेश इस सम्मान को पाने वाले पहले भारतीय हैं।

विश्वविद्यालय के खेल निदेशालय के डीन प्रो. मनीष कुमार ने बताया कि डा. नरेश

हमेशा से ही अत्यंत मेहनती व नया सोचने वाले रहे हैं। हरियाणा के भिवानी जिले के छोटे से गांव सागवान

में जन्मे डा. नरेश रावत ने साबित कर दिया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी प्रतिभाओं

की कोई कमी नहीं है।

प्रो. कुमार नेदरलैंड्स में वागेनिंगन यूनिवर्सिटी एंड रिसर्च में पर्यावरण

भू-रसायन विज्ञान अनुसंधान समूह का नेतृत्व करते हैं। उनका शोध मुख्य रूप से रेडॉक्स-डायनामिक

सिस्टम्स में पोषक तत्वों और प्रदूषकों के व्यवहार का अध्ययन, मिट्टी-पानी इंटरफेस

पर इनकी गतिशीलता और प्रभाव, पोषक चक्र, प्रदूषण प्रबंधन और पर्यावरणीय स्थिरता जैसी

समस्याओं का समाधान विषयों पर केंद्रित है।

इस पुरस्कार का नाम प्रोफेसर जेम्स जे. मॉर्गन के नाम पर रखा गया है, जो ईएस

एंड टी के पहले संपादक और पर्यावरण रसायन विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी थे। वर्तमान

में डॉ. रावत नीदरलैंड के वागेनिंगन विश्वविद्यालय में पर्यावरण भू-रसायन अनुसंधान

समूह का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने मिट्टी और जल की सीमाओं पर पोषक तत्वों और प्रदूषकों

के व्यवहार पर किए गए अपने शोध से इस क्षेत्र में बड़ा योगदान दिया है।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर

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