जीवन विज्ञान प्रशिक्षण से छात्रों, शिक्षकों तथा कर्मचारियेां में एकाग्रता व नियमितता बढ़ती : राजेंद्र अग्रवाल
हिसार, 14 नवंबर (Udaipur Kiran) । जीवन विज्ञान श्रेष्ठ मानव एवं समाज निर्माण के लिए अत्यंत उपयोगी उपक्रम है, श्रेष्ठ मानव और मानवता का सृजन आज विश्व के सामने एक गंभीर चुनौती है। मूल्य आधारित शिक्षा पद्धति के विकास से राष्ट्र का विकास संभव है। जातिवाद, साम्प्रदायवाद व आतंकवाद को समाप्त कर राष्ट्र सुदृढ़ बन सकता है।
यह बात अणुव्रत समिति की ओर से राष्ट्रव्यापी आचार्य श्री महाप्रज्ञ अलंकार समारोह (जीवन विज्ञान दिवस) में मॉडल टाउन स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल में मुख्य अतिथि प्राचार्य प्रताप सिंह ने गुरुवार को कही।
अध्यक्ष राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि जीवन विज्ञान प्रशिक्षण से छात्रों, शिक्षकों तथा कर्मचारियों में एकाग्रता तथा नियमितता बढ़ सकती है। इन प्रयोगों से निश्चित रूप से विद्यार्थियों का शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, भावनात्मक विकास हो सकता है। आज के युवा छात्र कहते हैं कि परीक्षा के दिनों में खूब पढ़ा, पढऩे मात्र से याद नहीं होता, लक्ष्य बनाकर पढ़ेंगे तो याद होगा, सीखना होगा, याद करना होगा, अभ्यास करना होगा। बहुत आवश्यक है पढऩे के साथ सीखने की बात जुड़े। जीवन विज्ञान में शिक्षा में सीखने की बात जुड़ी हुई है। भावनात्मक विकास अथवा चरित्र का विकास केवल शिक्षक और पुस्तक के सहारे नहीं किया जा सकता। उसके लिए जरुरी है रूपांतरण का प्रयोग आसन, प्राणायाम, कायोत्सर्ग, एकाग्रता, संकल्प शक्ति, अनुप्रेक्षा, ये सब रूपांतरण प्रयोग हैं।
जीवन विज्ञान में इनके विधिवत अभ्यास से भावनात्मक चरित्र तथा नैतिक मूल्यों का विकास संभव है। विद्यार्थियों में समाज व परिवार के प्रति दायित्व बोध, मानवीय मूल्यों का विकास, नैतिक मूल्यों की वृद्धि तथा चारित्रिक विकास भी अति आवश्यक है। समिति की तरफ से प्राचार्या को अणुव्रत पटका व स्मृति चिन्ह से समानित किया गया। इस अवसर पर अध्यक्ष राजेंद्र अग्रवाल, मंत्री दर्शन लाल शर्मा, विनोद जैन, सतपाल शर्मा, इंद्रेश पांडे, सुनील मित्तल, जयभगवान लाडवाल, नितिन कुमार अग्रवाल, स्कूल के अध्यापक सहित अन्य सदस्य मौजूद रहे।
(Udaipur Kiran) / राजेश्वर