Haryana

हिसार : आमजन हो रहा सरल पोर्टल से अपमानित, सीएम ले संज्ञान : एडवोकेट बजरंग इंदल

सामाजिक कार्यकर्ता एडवोकेट बजरंग इंदल।

8 दिन से 300 ऑनलाइन सेवाएं ठप, सरकार और प्रशासन बेखबर : इंदल

असल में दलित-पिछड़ो को ही सिस्टम से

बाहर करने की फिराक में सरकार

हिसार, 7 जून (Udaipur Kiran) । हरियाणा सरकार के बहुचर्चित ‘सरल’ पोर्टल का 18वीं सदी

की तरह ठप पड़ जाना सिर्फ एक तकनीकी समस्या नहीं बल्कि यह प्रदेश की लाखों युवाओं,

छात्रों और खासकर दलित-पिछड़े वर्गों के अधिकारों पर सीधा हमला है। मुख्यमंत्री नायब

सिंह सैनी को इस पर तुरंत ध्यान देना चाहिए।

यह बात नलवा विधानसभा से प्रत्याशी रहे सामाजिक कार्यकर्ता एडवोकेट बजरंग इंदल

ने शनिवार काे सरकार की डिजिटल सेवाओं पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कही। उन्होंने कहा कि एक

तरफ सरकार डिजिटल इंडिया के दावे करती है वहीं दूसरी ओर एक ऑनलाइन सेवा के फेल होने

से 300 सेवाएं ठप हो जाती हैं जिनमें सबसे ज्यादा नुकसान उन्हीं वर्गों को होता है

जो पहले से ही हाशिए पर हैं। हरियाणा सरकार और यहां की प्रशासनिक मशीनरी इस समस्या

से अभी तक अनजान है जो हास्यास्पद है। उन्होंने कहा की आज पूरे प्रदेश के युवा सीईटी

का फॉर्म नहीं भर पा रहे, विधवा महिला को सामाजिक सुरक्षा पेंशन नहीं मिल रही और हजारों

विद्यार्थी स्कूल-कॉलेजों और अन्य शैक्षणिक संस्थाओं में दाखिले से वंचित हैं। यह सिर्फ

तकनीकी गड़बड़ी नहीं है बल्कि ये प्रशासनिक असंवेदनशीलता और डिजिटल गुलामी की पराकाष्ठा

है।

बजरंग इंदल ने सवाल उठाया कि जब पोर्टल नहीं चल रहा तो सरकार को सीईटी की अंतिम

तिथि स्वतः बढ़ा देनी चाहिए थी। क्या ये सरकार उन युवाओं के साथ मज़ाक कर रही है जो

सरकारी नौकरी के सपनों में दिन-रात एक कर रहे हैं? सच तो ये है कि सरल पोर्टल के बहाने

सरकार द्वारा प्रदेश के दलित-पिछड़े वर्गों के छात्रों के अधिकारों का गला घोंटा जा

रहा है। इस संकट की सबसे बड़ी मार उस वर्ग पर पड़ रही है जो सामाजिक और आर्थिक रूप

से पहले ही वंचित है। बजरंग इंदल ने मुख्यमंत्री नायब सैनी से मांग की कि सीईटी आवेदन की तिथि कम

से कम 15 दिन आगे बढ़ाई जाए, सभी प्रकार के प्रमाण-पत्रों की जनसुनवाई शिविर लगाकर

त्वरित निस्तारण हो, सरल पोर्टल की विफलता की जवाबदेही तय हो और जिम्मेदार अधिकारियों

पर कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि यह मामला सिर्फ तकनीक का नहीं बल्कि लोकतांत्रिक

हक और सामाजिक न्याय का भी है। डिजिटल इंडिया का ढिंढोरा पीटती सरकार असल में किसे

बाहर धकेल रही है ये सब आमजनता जानती और समझ रही है।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर

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