Haryana

हिसार : बिना बेहोशी साइटिका का इलाज करने वाला मेडिकल बना अग्रोहा मेडिकल कॉलेज

अग्रोहा मेडिकल कॉलेज का मुख्य द्वार।

डॉ. इशू बिश्नोई की तकनीक को ‘न्यूरोलॉजी इंडिया’ ने किया नवाचार में शामिल

हिसार, 6 जून (Udaipur Kiran) । महाराजा अग्रसेन मेडिकल कॉलेज, अग्रोहा के न्यूरोसाइंसेज़ विभाग ने चिकित्सा नवाचार के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। विभाग के चिकित्सकों ने साइटिका नर्व की गंभीर समस्या से जूझ रहे मरीज़ों का बिना बेहोशी के सफल ऑपरेशन करने की एक नवीन तकनीक विकसित की है, जिसे विश्व में पहली बार डॉ. इशू बिश्नोई और उनकी टीम द्वारा सफलतापूर्वक पूरा किया गया है। विशेष रूप से, यह तकनीक उन रोगियों के लिए वरदान साबित हो रही है जिनकी साइटिका नर्व कूल्हे में गलत इंजेक्शन लगने के कारण क्षतिग्रस्त हो गई थी। यह उन्नत इलाज दुनिया भर में कुछ ही विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा बेहोश कर किया जाता है, और अब यह भारत में पहली बार बिना बेहोशी भी उपलब्ध है।इस अभिनव तकनीक, जिसे ‘अवेक साइटिका न्यूरोलिसिस’ नाम दिया गया है, के माध्यम से हाल ही में 11 मरीज़ों का सफलतापूर्वक इलाज किया गया, जिन्हें तत्काल रूप से दर्द से राहत मिली और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार हुआ। यह प्रक्रिया मरीज़ के होश में रहते हुए की जाती है, जिससे बेहोशी से जुड़े जोखिम समाप्त हो जाते हैं और रिकवरी भी तेज़ी से होती है।इस महत्वपूर्ण चिकित्सा नवाचार को भारत के प्रतिष्ठित न्यूरोसाइंस जर्नल ‘न्यूरोलॉजी इंडिया’ ने भी मान्यता दी है। जर्नल ने ‘अवेक साइटिका न्यूरोलिसिस’ तकनीक को अपनी नवाचार श्रेणी में स्थान दिया है, जो महाराजा अग्रसेन मेडिकल कॉलेज, अग्रोहा के न्यूरो विभाग की विशेषज्ञता और डॉ. इशू की टीम के अग्रणी अनुसंधान क्षमताओं को रेखांकित करता है। ‘न्यूरोलॉजी इंडिया’ के मई 2025, वॉल्यूम 73(3), पेज संख्या 546-550 में इस तकनीक और इसके सफल परिणामों पर एक विस्तृत लेख प्रकाशित हुआ है, जिसका शीर्षक है ‘अवेक साइटिक नर्व न्यूरोलिसिस आफ्टर इंजेक्शन इंजरी’, जिसके प्रमुख लेखक डॉ. इशू बिश्नोई हैं।महाविद्यालय के न्यूरो विभागाध्यक्ष डॉ. देवेंद्र कुमार ने शुक्रवार काे बताया कि कूल्हे में गलत तरीके से इंजेक्शन लगने के कारण साइटिका नर्व को क्षति पहुंचने के मामले आम हैं, जिससे मरीज़ों को असहनीय दर्द और चलने-फिरने में अत्यधिक कठिनाई का सामना करना पड़ता है। पारंपरिक उपचार विधियों में अक्सर लंबे समय तक दवाइयों का सेवन या जटिल सर्जरी शामिल होती है, जिसमें बेहोशी की आवश्यकता पड़ती है।इस ऐतिहासिक सफलता पर महाराजा अग्रसेन मेडिकल कॉलेज की निदेशक डॉ. अलका छाबड़ा, प्रशासनिक निदेशक डॉ. आशुतोष शर्मा, चिकित्सा अधिक्षक डॉ. राजीव चौहान, विभागाध्यक्ष डॉ. देवेंद्र कुमार व प्रबंधन ने न्यूरो विभाग के डॉक्टरों और विशेष रूप से डॉ. इशू बिश्नोई एवं उनकी टीम डॉ. मोनिका कांबोज, डॉ. निधि यादव, डॉ. दीक्षा जांगड़ा, डॉ. योगेंदर यादव, डॉ. करमबीर सैनी, डॉ. दिनेश कासवा, डॉ. नितेश, डॉ. निवेदिता को बधाई दी है।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर

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