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हिसार : कृत्रिम बौद्धिकता से मानव कौशल की कद्र और अधिक बढ़ेगी : सीए चरनजोत सिंह

संगोष्ठी का उद्घाटन करते मुख्यातिथि सीए चरनजोत सिंह, कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई एवं अन्य अतिथिगण।
संगोष्ठी में पुस्तक का विमोचन करते मुख्यातिथि सीए चरनजोत सिंह, कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई एवं अन्य अतिथिगण।

वर्तमान दौर में तकनीक तेजी से आकार ले रही है : कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोईहिसार, 24 अप्रैल (Udaipur Kiran) । इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंटस ऑफ इंडिया (आईसीएआई) के अध्यक्ष सीए चरनजोत सिंह ने कहा है कि तकनीक ने पूरी दुनिया में भारत की साख बढ़ाई है। दुनिया के अधिकतर देशों में भारतीय तकनीकी विशेषज्ञ अपना लोहा मनवा रहे हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को लेकर बेवजह का डर फैलाया जा रहा है। एआई से मानव कौशल की कद्र और अधिक बढ़ेगी। सीए चरनजोत सिंह गरुवार काे गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार के वाणिज्य विभाग के सौजन्य से ‘सस्टेनेबिलिटी, टेक्नोलॉजी एवं इनोवेशन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं एनालिटिक्स, ग्रीन प्रैक्टिसेस एवं एंटरप्रेन्योरशिप तथा मैनेजमेंट (स्टेज -2025)’ विषय पर शुरु हुई दो दिवसीय प्रथम अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधिता कर रहे थे। संगोष्ठी की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने की। इंडो गल्फ मैनेजमेंट एसोसिएशन, यूएई के अध्यक्ष डा. मोहन लाल अग्रवाल संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। एचएसबी अधिष्ठाता प्रो. कर्मपाल नरवाल, विभागाध्यक्ष एवं संगोष्ठी के संयोजक डा. निधि तुरान एवं संगोष्ठी की आयोजन सचिव डा. मोनिका भी मंच पर उपस्थित रहे। संगोष्ठी का आयोजन इंडो-गल्फ मैनेजमेंट एसोसिएशन, दुबई और जगन्नाथ इंटरनेशनल मैनेजमेंट स्कूल (जिम्स), नई दिल्ली के सहयोग से किया जा रहा है। सीए चरनजोत सिंह ने कहा कि वर्तमान समय में विश्व में तेल और सोने से भी अधिक डाटा का महत्व है। आपको अपने कौशल को बेहतर करना होगा। जिंदगी में तरक्की करने के लिए कौशल और तरक्की पाने की गहन लालसा अत्यंत आवश्यक है। कुछ वर्ष के बाद वित्तीय की अपेक्षा गैर-वित्तीय रिपोर्टिंग ज्यादा महत्वपूर्ण होने वाली है। उन्होंने गुरु जम्भेश्वर जी महाराज के सिद्धांतों को याद करते हुए कहा कि गुरु जी के सिद्धांतों पर चल रहा यह विश्वविद्यालय सततता, पर्यावरण संरक्षण तथा मानवता के लिए प्रशंसनीय कार्य कर रहा है। उन्होंने पर्यावरण प्रदूषण को वर्तमान समय का ज्वलंत मुद्दा बताया। उन्होंने कहा कि उद्यमिता भारतीयों की रंगों में है। भारतीय मेहनत व ताकत से कुछ भी हासिल कर सकते हैं। केवल अपने दिमाग को इस दिशा में प्रशिक्षित करने की जरूरत है।कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने अपने संबोधन में कहा कि वर्तमान दौर में तकनीक तेजी से नया आकार ले रही है। ऐसे दौर में सततता के सिद्धांत और अधिक महत्वपूर्ण हो जाते हैं। यह हमारा नैतिक दायित्व बनता है कि हम शिक्षा को केवल रोजगार पाने के लिए नहीं, बल्कि समाज व राष्ट्र में सकारात्मक बदलावों के लिए प्रयोग करें। उन्होंने संगोष्ठी के विषय को समय की मांग बताया तथा कहा कि भारत को वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाना है तो संगोष्ठी के विषय के मुद्दों पर गहनता से विमर्श कर आगे बढ़ना होगा। उन्होंने प्रतिभागियों से कहा कि वे संगोष्ठी में विशेषज्ञों को केवल सुनें ही नहीं, बल्कि विषयों के साथ आत्मसात भी हों। प्रश्न करने के साथ-साथ अपना योगदान भी दें और सीखने के साथ-साथ नेतृत्व भी करें। उन्होंने विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंगों का हवाला देते हुए कहा कि गुरु जम्भेश्वर जी महाराज के सिद्धांतों पर चलते हुए यह विश्वविद्यालय विश्व स्तर पर अपनी पहचान लगातार मजबूत कर रहा है।दुबई से दिए अपने ऑनलाइन संबोधन में मुख्य वक्ता डा. मोहन अग्रवाल ने कृत्रिम बौद्धिकता एवं तकनीकी विकास के युग में मानवीय संवेदनाओं के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत की प्राचीन परम्पराओं में विकास, पर्यावरण संरक्षण तथा मानवीय संवेदनाओं का शानदार समावेश था। उन्होंने हर दृष्टिकोण से मानवता को महत्वपूर्ण बताया तथा कहा कि कृत्रिम बौद्धिकता, उद्यमिता तथा तकनीकी विकास सभी मानवता की भलाई के लिए होने चाहिएं। उन्होंने सुपर-स्मार्ट सोसायटी के बारे में विस्तार से जानकारी दी व इसकी जरूरत पर बल दिया। साथ ही उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों का कम से कम दोहन करने पर बल दिया। उन्होंने लाभ की बजाय समृद्धि को महत्वपूर्ण बताया।अधिष्ठाता प्रो. कर्मपाल नरवाल ने कहा कि गुजविप्रौवि सततता का ध्वजवाहक है। यह संगोष्ठी विश्वविद्यालय की इसी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है। उन्होंने प्रकृति से नाता जोड़ने, धरती को बचाने तथा मानवता का सम्मान करने का संदेश देते हुए एक शानदार कविता भी सुनाई।संयोजक डा. निधि तुरान ने अपने स्वागत सम्बोधन में कहा कि संगोष्ठी का विषय प्रतिभागियों के लिए अत्यंत उपयोगी होगा। संगोष्ठी से विषय से संबंधित बिंदुओं पर गहन विमर्श के बाद सार्थक परिणाम भी आएंगे। संगोष्ठी में देश-विदेश से 150 डेलीगेटस भाग ले रहे हैं। संगोष्ठी में 14 तकनीकी सत्र होंगे। आयोजन सचिव डा. मोनिका ने सभी का धन्यवाद किया। उद्घाटन समरोह में 35 श्रेष्ठ शोध पत्रों से संकलित पुस्तक का विमोचन भी किया गया। उद्घाटन समारोह शुुरु होने से पूर्व पहलगाम आतंकी हमले में जान गंवाने वाले निर्दोष नागरिकों को श्रद्धांजलि भी दी गई। इस अवसर पर आईसीएआई से संबंधित एक डाक्यूमेंटरी भी दिखाई गई।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर

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