Haryana

हिसार : कृषि अवशेष प्रबंधन बहुत बड़ी चुनौती बना : प्रो. बीआर कम्बोज

प्रशिक्षणार्थियों एवं अधिकारियों के साथ कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज।

अपशिष्ट के समुचित प्रबंधन के लिए जागरूकता जरूरी

एचएयू में ‘अपशिष्ट प्रबंधन के लिए सतत प्रौद्योगिकियां’ विषय पर प्रशिक्षण

संपन्न

हिसार, 17 फरवरी (Udaipur Kiran) । हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर

कम्बोज ने कहा है कि कृषि अवशेष प्रबंधन एक बहुत बड़ी चुनौती बन गया है। उत्तर भारत

के विभिन्न राज्यों में धान की पराली जलाने से समस्या बढ़ती जा रही है। इससे न केवल

मिट्टी की गुणवत्ता व सूक्ष्म जीव प्रभावित होते हैं बल्कि वायु प्रदूषण एवं ग्रीन

हाउस गैस उत्सर्जन भी होता है। कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज सोमवार को विश्वविद्यालय में ‘अपशिष्ट (कचरा) प्रबंधन

के लिए सतत प्रौद्योगिकियां’ विषय पर 10 दिवसीय प्रशिक्षण के समापन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। यह

कार्यक्रम छात्र कल्याण निदेशालय द्वारा मौलिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय में

आयोजित किया गया।

कुलपति ने कहा कि कृषि अवशेष जलाने से पर्यावरण प्रदूषण भी फैलता

है। कृषि अवशेषों का कुशलतापूर्वक और लागत प्रभावी ढंग से उपयोग करके कई मूल्यवर्धित

उत्पाद तैयार किये जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि अपशिष्ट के विभिन्न प्रकार होते

हैं जिनमें ठोस अपशिष्ट, तरल अपशिष्ट, सुखा अपशिष्ट, बायोडिग्रेडेबल अपशिष्ट तथा नॉन

बायोडिग्रेडेबल अपशिष्ट शामिल हैं। कुलपति ने कहा कि अपशिष्ट के समुचित प्रबंधन के

लिए जागरूकता जरूरी है। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा निरंतर अपशिष्ट प्रबंधन

बारे किसानों को भी जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अपशिष्ट को समस्या नहीं

बल्कि संसाधन के रूप में देखने की जरूरत है।

युवा शोधार्थियों को प्रेरित करते हुए

उन्होंने कहा कि स्थायी विकास के लिए नवीन शोध और विचारों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता

है। यह प्रशिक्षण न केवल वैज्ञानिक नवाचार और व्यावहारिक समाधानों के बीच एक पुल का

कार्य करेगा, बल्कि भविष्य में पर्यावरण संरक्षण एवं अपशिष्ट प्रबंधन की दिशा में महत्वपूर्ण

योगदान देगा। प्रशिक्षण में विश्वविद्यालय के विभिन्न महाविद्यालयों के 50 स्नातक एवं

स्नातकोत्तर विद्यार्थियों ने भाग लिया। कुलपति ने सभी प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण-पत्र

भी वितरित किए।

छात्र कल्याण निदेशक डॉ. मदन खीचड़ ने सभी का स्वागत किया जबकि पाठ्यक्रम निदेशक

एवं अधिष्ठाता डॉ. राजेश गेरा ने कचरा प्रबंधन के लिए सतत प्रौद्योगिकियां विषय पर

विस्तृत जानकारी दी। प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. कमला मलिक ने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान

अपशिष्ट प्रबंधन के रासायनिक गुणों, पर्यावरणीय प्रभावों, कृषि में पुन: उपयोग, जलवायु

अनुकूलता एवं स्थायी खेती पर विस्तार से चर्चा की गई। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के पाठ्यक्रम

समन्वयक डॉ. कमला मलिक, डॉ. सुबोध व डॉ. मीना रहे। प्रशिक्षण में डॉ. विजया, डॉ. यादविका,

डॉ. सुशील, डॉ. अरविन्द, डॉ. श्वेता, डॉ. सपना सहित अन्य वैज्ञानिकों ने भी अपशिष्ट

प्रबंधन बारे अपने व्याख्यान दिए। छात्रा ईरा लांबा ने मंच का संचालन किया। इस अवसर

पर ओएसडी डॉ. अतुल ढींगड़ा, मीडिया एडवाइजर डॉ. संदीप आर्य, एडीआर डॉ. आरके गुप्ता

व डॉ. अजय जांगड़ा उपस्थित रहे।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर

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