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हिप्र हाई कोर्ट ने सीबीआई को दिया हिमाचल पावर कॉरपोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की मौत की जांच करने का आदेश

फाइल फोटो : हिमाचल हाईकोर्ट

शिमला, 23 मई (Udaipur Kiran) । हिमाचल पावर कॉरपोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की रहस्यमय मौत मामले में अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जांच करेगी। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने आज बड़ा फैसला सुनाते हुए शिमला पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए और जांच सीबीआई को सौंपने के आदेश दिए। न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की एकल पीठ ने यह फैसला सुनाया।

हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सीबीआई की जांच टीम में हिमाचल कैडर का कोई भी अधिकारी शामिल नहीं होगा ताकि जांच की निष्पक्षता बनी रहे। यह फैसला विमल नेगी की पत्नी किरण नेगी द्वारा दायर याचिका पर सुनाया गया जिसमें उन्होंने राज्य पुलिस की जांच पर असंतोष जताते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की थी।

सनद रहे विमल नेगी 10 मार्च को अचानक लापता हो गए थे और 18 मार्च को उनका शव गोबिंद सागर झील से बरामद हुआ था। शव मिलने के बाद परिजनों ने इसे आत्महत्या नहीं बल्कि हत्या करार देते हुए देर रात शिमला में प्रदर्शन किया था। इस दौरान सरकार के तीन मंत्री मौके पर पहुंचे थे और निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया था।

विमल नेगी की मौत के बाद सरकार ने पावर कॉरपोरेशन के निदेशक देशराज को निलंबित कर दिया था और एमडी हरिकेश मीणा को पद से हटा दिया था। इन दोनों के खिलाफ शिमला पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। देशराज को सुप्रीम कोर्ट से और हरिकेश मीणा को हाई कोर्ट से जमानत मिल चुकी है।

इस बीच राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित की थी जिसने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी। लेकिन परिजनों ने आरोप लगाया कि जांच में बड़े अधिकारियों को बचाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई जांच की मांग की थी।

बुधवार को अंतिम सुनवाई में हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अतुल वर्मा द्वारा दाखिल हलफनामे में भी एसआईटी की जांच पर सवाल उठाए गए थे। रिपोर्ट में कहा गया कि एसआईटी जानबूझकर मामले को आत्महत्या की दिशा में मोड़ रही है जबकि कई सवाल अब भी अनुत्तरित हैं।

हाई कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि डीजीपी और एसपी शिमला के बीच समन्वय की कमी और आपसी टकराव के चलते मामले में न्याय मिलने में देरी हो रही है। पिछली सुनवाई में एसपी शिमला संजीव गांधी भी व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश हुए थे। उन्होंने दावा किया कि एसआईटी निष्पक्षता से जांच कर रही है और मामले से जुड़ी एक पेन ड्राइव बरामद कर फॉरेंसिक जांच के लिए भेजी गई है। साथ ही उन्होंने आग्रह किया था कि मामला सीबीआई को न सौंपा जाए ताकि पुलिस का मनोबल बना रहे।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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