लखनऊ, 24 अक्टूबर
(Udaipur Kiran) । हिंदुस्थान समाचार एजेंसी के प्रदेश प्रभारी राजेश तिवारी के बड़े पिता जी
(स्व. दीनानाथ तिवारी, उम्र-80 वर्ष) का गुरुवार को सुबह देहावसान हो गया। उन्होंने
काशी के बीएचयू में अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार शुक्रवार को सुबह वाराणसी में
होगा। उनके देहावसान की खबर
सुनकर (Udaipur Kiran) में शोक की लहर दौड़ गयी। लखनऊ सहित कई जगहों पर दो मिनट
का मौन व्रत रखकर उनकी आत्मा की शांति के लिए सभी ने प्रार्थना की। इसके साथ ही भगवान
से दुखी परिवार को संबल प्रदान करने के लिए प्रार्थना की गयी।
राजेश तिवारी ने बताया
कि मेरे पूज्य बड़े पिता
(स्व.दीनानाथ तिवारी, उम्र-80
वर्ष) का पूरा
जीवन ही संघर्षमय
रहा। वह पारिवारिक
जिम्मेदारी के नाते
कभी भी व्यक्तिगत
पीड़ा व्यक्त नहीं
किए। उनकासम्पूर्ण जीवन परिवार
व समाज के
लिए समर्पित रहा।
आज वह हम
सबको छोड़कर परलोकवासी
हो गए।
उन्होंने कहा कि वह
आत्मियता व त्याग
के प्रतिमूर्ति थे।
हम सबके प्रेरणापुंज
हैं। कुटुम्ब के
आदर्श थे, मणी
थे। मेरे गांव
के गुरूजी थे,
तो समाज के
मास्टर साहब थे।
उनके संघर्ष की
लम्बी गाथा है।
सभी पक्षों को
लिखना संभव नहीं
है। जब वह
12 साल के थे,
तभी पूज्य दादा
जी(बाबा) का
स्वर्गवास हो गया।
इस छोटी सी
उम्र में ही
उन्हें परिवार संभालने की
जिम्मेदारी मिली। वह अंतिम
समय तक पूरे
परिवार को एकता के
सूत्र में बांधकर
रखे रहे। उन्होंने
हम सबको परिवारिक
संगठन सूत्र दिए।
बड़े पिताजी,
मेरे पूज्य पिताश्री(मझले) तथा चाचा
जी से लेकर
फुआ, बेटा-बेटी,
भतीजा-भतीजी तथा
नाती-नातीन तक
सबकी शिक्षा, संस्कार,
विवाह अर्थात परिवार
की सम्पूर्ण चिंता
जीवनपर्यन्त करते रहे।
वह अपने पीछे
भरापूरा परिवार छोड़ गए
हैं। पूरे परिवार
में करीब 45 सदस्य
हैं। सबका भोजन,
पानी, कृषि अर्थात
सम्पूर्ण व्यवस्था उनकी छत्रछाया
में चलती रही।
यह परिवार सरेयां
पंचायत ही नहीं
कई जनपदों का
सबसे आदर्श संयुक्त
परिवार है। कुटुम्ब का
एक आदर्श माडल
है।
उनके निधन से
विशेष रूप से
परिवार की अपूरणीय
क्षति हुई है,
जिसकी भरपाई संभव
नहीं है। उनके
असमय जाने से
मन व्यथित है,
विचलित है, अपार
दु:ख है।
होनी को कोई
टाल नहीं सकता,
ईश्वरीय सत्ता ही सबकुछ
है। ईश्वर से यही
आर्चना है कि
उनके दिखावे हुए
मार्ग पर परिवार
की व्यवस्था अक्षुण्ण
बनाए रखें। भाईयों
एवं भतीजों में
एकजुटता, आत्मीय भाव व
प्रेम निरन्तर बना
रहे।
(Udaipur Kiran) / उपेन्द्र नाथ राय