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जामिया मिलिया इस्लामिया में हिन्दू हो रहे उत्पीड़न के शिकार, डराकर धर्म परिवर्तन भी हो रहाः रिपोर्ट 

Report on Jamia Milia islamia Hindu conversion

नई दिल्ली, 14 नवंबर (Udaipur Kiran) । कॉल फॉर जस्टिस की ओर से जामिया मिलिया इस्लामिया में कथित धर्म परिवर्तन के मामलों पर बनी तथ्यान्वेषण समिति ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक की। रिपोर्ट में जामिया मिलिया इस्लामिया में हिंदू और खासकर एससी, एसटी और ओबीसी छात्रों और फैकल्टी मेंबर के साथ दुर्व्यवहार, धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित करने और ऐसा न करने पर उत्पीड़न का सामना करने की बात कही गई है। रिपोर्ट को आगे गृह मंत्रालय को भेजा जाएगा ।

आज एक पत्रकार वार्ता में समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एसएन ढींगरा (सेवानिवृत्त) ने 100 पेजों की रिपोर्ट सार्वजनिक की और इसके बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि धर्म विशेष को बढ़ावा देने और जबरन धर्म परिवर्तन कराने की शिकायतों पर 6 सदस्यों की समिति बनाई गई थी। समिति ने पिछले दो दशक के दौरान हुए भेदभाव और उत्पीड़न के शिकार बने 23 लोगों से बातचीत और उनकी ओर से पेश सबूतों के आधार पर अपनी रिपोर्ट तैयार की है। उन्होंने कहा है कि पिछले दो दशक के दौरान जामिया में हिंदू छात्रों, फैकल्टी मेंबर और अन्य स्टाफ के उत्पीड़न के चलते इनकी संख्या में काफी कमी आई है।

दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव भी समिति के सदस्य हैं। उनका कहना है कि जांच के दौरान बहुत से लोगों ने अपनी पहचान छिपाने का आग्रह किया है। उनकी पहचान को रिपोर्ट में उजागर नहीं किया गया। उन्हें डर था कि नाम उजागर होने पर उनके साथ भी उत्पीड़नात्मक कार्रवाई हो सकती है। उन्होंने कहा कि एक फैकल्टी मेंबर को इसलिए उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा कि उन्होंने कम्युनिटी रेडियो प्रोग्राम में वंदे मातरम प्ले किया था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पति का देहांत होने पर महिला कर्मचारियों को मुस्लिम से शादी करने के लिए कहा जाता है। लव जिहाद के मामले भी समिति के सामने आए हैं। समिति ने 27 गवाहों से बातचीत की है। इनमें 7 प्रोफेसर या असिस्टेंट प्रोफेसर, पीएचडी स्कॉलर और अन्य हैं।

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(Udaipur Kiran) / अनूप शर्मा

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