Maharashtra

वसई के संत गोन्सालो गार्सिया महाविद्यालय में हिंदी सप्ताह का समापन

कार्यक्रम के दौरान अतिथि, शिक्षक और छात्र।

मुंबई, 24 सितंबर (Udaipur Kiran) । संत गोन्सालो गार्सिया महाविद्यालय के हिंदी विभाग की ओर से हिंदी सप्ताह का आयोजन किया गया। इसके तहत महाविद्यालय के छात्रों के लिए हिंदी निबंध, कविता लेखन, हिंदी काव्य वाचन, शेरो-शायरी, गीत-गायन, हिंदी शुद्ध लेखन, सुंदर हस्ताक्षर, भारतीय वेशभूषा, नृत्य आदि स्पर्धाओं का आयोजन किया। निसर्ग चित्र एवं मोबाइल का बच्चों पर पड़ने वाला बुरा प्रभाव विषय पर चित्रकला स्पर्धा भी आयोजित की गई। छात्रों ने इन विविध स्पर्धाओं में बड़ी संख्या में सहभाग लिया। पुरस्कार प्राप्त और सहभागी छात्रों को मान्यवरों के हाथों प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया। आयोजन की कड़ी में 23 सितंबर को हिंदी दिन कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।

इस कार्यक्रम के लिए प्रमुख अतिथि के तौर पर श्रीमती तारामाई वर्तक मेमोरियल अकादमी पांचपायरी, विरार के हिंदी विभाग की सहायक अध्यापिका रानी अनिक चंद्र मिश्रा उपस्थित थीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सोमनाथ विभुते ने की। महाविद्यालय के प्रशासक फादर थॉमस लोपेज प्रमुख रूप से उपस्थित थे। उप-प्राचार्य प्रा. सरिथा कुरियन एवं हिंदी साहित्य मंडल की अध्यक्ष निधि कनोजिया भी खास तौर पर उपस्थित थीं। कार्यक्रम की शुरुआत ‘हम होंगे कामयाब’ प्रेरणा गीत से हुई। सोनल मिश्रा ने महाराष्ट्र की सुप्रसिद्ध लावनी पर नृत्य प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की प्रस्तावना हिंदी विभाग प्रमुख डॉ. रामदास तोंडे ने रखी।

इस मौके पर अतिथियों के हाथों हिंदी भित्ति पत्रिका ‘बीज’ का प्रकाशन किया गया। फादर थॉमस लोपेज ने सभी को आशीर्वाद देकर कार्यक्रम के लिए शुभकामनाएं दीं और छात्रों का मार्गदर्शन किया। प्राचार्य डॉ. विभूते ने कहा कि छात्रों को केवल गुण पत्रिका के गुणों को महत्व न देते हुए संपूर्ण व्यक्तित्व विकास के लिए कथा, कविता, गजल, पर्यावरण प्रकृति सभी के बारे में जानना चाहिए। साहित्य मन को आनंद देता है। साहित्य दिल को छूता है। साहित्य से लेने जैसा बहुत कुछ है, साहित्य की विभिन्न विधाएं मानव जीवन को समृद्ध बनाती हैं।

कार्यक्रम की प्रमुख अतिथि रानी अनिक चंद्र मिश्रा ने कहा कि हिंदी भाषा भारतीयों के हृदय में विराजमान है। हिंदी भारत की राजभाषा तो है ही साथ ही संपर्क भाषा भी है। हिंदी भाषा का साहित्य समृद्ध है। कबीर, तुलसीदास, सूरदास, मीराबाई, भूषण, प्रेमचंद, भारतेंदु हरिश्चंद्र , जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, निराला आदि साहित्यकारों ने हिंदी भाषा को एक ऊंचाई पर स्थापित किया है। हिंदी सोशल मीडिया, सिनेमा आदि माध्यमों में भी लोकप्रिय है। हिंदी का वर्तमान और भविष्य उज्ज्वल है। छात्रों को हिंदी भाषा के साथ ही अन्य भाषाओं को भी आत्मसात करने का प्रयास करना चाहिए। कार्यक्रम का सूत्रसंचालन डॉ. रामदास तोंडे ने, तो धन्यवाद ज्ञापन प्रा. रेखा झा ने किया।

(Udaipur Kiran) / कुमार

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