कानपुर, 10 जनवरी (Udaipur Kiran) । हिंदी भाषा हमारे देश ही नहीे बल्कि दुनिया की प्राचीनतम भाषाओं में से एक है, लेकिन वर्तमान समय में हमारे देश के युवा हिंदी भाषा को भूलते जा रहे हैं। जिस तरह से एक पेड़ सुरक्षित रखने के लिए उसकी देखभाल की जाती है ठीक उसी तरह से भाषा को भी व्यवहार रूपी जल से सुरक्षित रखना होगा। ये बातें डॉ. सर्वेश मणि त्रिपाठी ने शुक्रवार को सीएसजेएमयू में आयोजित विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर कही गयी।
छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) द्वारा संचालित स्कूल आफ़ लैंग्वेजेज के हिंदी विभाग द्वारा विश्व हिन्दी दिवस मनाया गया। कार्यक्रम में भाषा संकाय के छात्र और छात्राओं ने बड़ी संख्या में प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में निदेशक डॉ. सर्वेश मणि त्रिपाठी द्वारा अपने उद्बोधन में हिंदी की वैश्विक और व्यावहारिक पहचान से अवगत कराया गया। उन्होंने बताया कि हिंदी एक भाषा ही नहीं हमारी संस्कृति और संस्कार की संरक्षक भी है। भाषा वह वृक्ष है जिसे हमें अपने व्यवहार के जल से सींचना होगा। हिंदी सुरक्षित तो हम सुरक्षित हमारा राष्ट्र सुरक्षित होगा। इसी क्रम में डॉ. प्रभात गौरव मिश्र ने अपने उद्बोधन में भाषा के व्यवहार की ताकत से अवगत कराते हुए बताया कि हिंदी से भारतीय संस्कृति और संस्कारों को वैश्विक ताकत मिलती है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए हिंदी विभाग के सहायक आचार्य डॉ. श्रीप्रकाश ने विश्व हिन्दी दिवस की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला और डॉ. सोम ठाकुर की हिंदी वंदना कविता का पाठ किया। कार्यक्रम में कई छात्र-छात्राओं ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का समापन डॉ. प्रीति वर्धन दुबे के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित डॉ. लक्ष्मण कुमार समेत सभी शिक्षक आचार्यों व छात्र-छात्राओं का धन्यवाद संयोजक डॉ. विकास कुमार यादव के द्वारा किया गया।
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(Udaipur Kiran) / Rohit Kashyap