
प्रयागराज, 30 मई (Udaipur Kiran) । ’सर्जनपीठ’ के तत्वावधान में हिन्दी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर शुक्रवार को एक राष्ट्रीय आन्तर्जालिक बौद्धिक परिसंवाद का आयोजन किया गया। जिसमे देश के अनेक वर्ग के प्रबुद्धजन ने सहभागिता की।
मध्य प्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति की मासिक पत्रिका ’अक्षरा’ की सम्पादिका जया केतकी ने कहा, “भाषादोष के लिए केवल समाचार पत्र नहीं, अपितु अनेक पत्रिकाएं और सोशल मीडिया उत्तरदायी है। संचार क्रान्ति के युग मे बढ़ती आधुनिकता और भौतिकता ने व्यक्ति को शीघ्रता से सब कुछ पाने के लिए मानसिक रूप से विवश कर दिया है।“
आकाशवाणी इलाहाबाद की चर्चित कलाकार वन्दना राठौर ने बताया, “रेडियो में महिला और बाल मनोविज्ञान को समझना और उसके अनुरूप कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करना, चुनौती भरा काम होता है। चुनौती तब और बढ़ जाती है जब नीति नियन्ता के रूप मे मुख्य पदों पर महिलाओं की उपस्थिति नाममात्र की हो। यह बात महिला-विमर्श और स्वयं रेडियो के भविष्य के लिए चिन्तित भी करती रही है।’’
आयोजक, भाषा विज्ञानी आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने कहा, “अभाव तो हर क्षेत्र मे है, परन्तु जो जनमत बनाने का ज़रिया है, आज उसे ठोस करने की ज़रूरत है। यदि देश के समस्त पत्रकारीय प्रतिष्ठान एक सकारात्मक उद्देश्य विशेष को ध्यान मे रखते हुए, 30 मई को एक पत्रकारीय कर्मशाला दिवस को आयोजित करते तो एक स्वस्थ परम्परा का प्रारम्भ माना जा सकता है।’’
लखनऊ से वरिष्ठ पत्रकार विनायक राजहंस ने कहा, “एक स्वस्थ लोकतन्त्र में जनमत गठन में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। मीडिया अपने कवरेज की विषयवस्तु और प्रस्तुतीकरण के माध्यम से यह प्रभावित कर सकता है कि जनता किस समाचार और मुद्दे को कैसे समझती है।’’
हरदोई से वरिष्ठ पत्रकार डॉ राघवेन्द्र कुमार त्रिपाठी ’राघव’ ने कहा, “हिन्दी पत्रकारिता, भारतीय मीडिया का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, जो देश की विविधता और संस्कृति को प्रतिबिम्बित करती है; लेकिन हाल के वर्ष मे हिन्दी पत्रकारिता मे भाषा स्तर पर बहुत गिरावट आयी है, जो चिन्ता का विषय है।“
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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र
