मुंबई, 20 दिसंबर (Udaipur Kiran) । हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, सभ्यता और ज्ञान का संवाहक है। हमें इसे शिक्षा नीति में और अधिक मजबूती से शामिल करना होगा। यह संबोधन विश्व हिंदी परिषद के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. विपिन कुमार ने डॉ. विपिन कुमार ने मुंबई में आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा नीति और हिंदी एवं भारतीय ज्ञान परंपरा पर अंतरराष्ट्रीय परिचर्चा कार्यक्रम में किया है।
डॉ. विपिन कुमार मुंबई के विलेपार्ले में साठये महाविद्यालय, मुंबई और विश्व हिंदी परिषद, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय परिचर्चा को मुख्य अतिथि के रुप में संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में कैलिफ़ॉर्निया, अमेरिका से पधारी विशेष अतिथि डॉ. अलका मनीषा ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता साठये महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. माधव राजवाड़े ने की । परिचर्चा के संयोजक डॉ. प्रदीप कुमार सिंह के नेतृत्व में शिक्षा नीति, हिंदी भाषा और भारतीय ज्ञान परंपरा के समक्ष आने वाली चुनौतियों और संभावनाओं पर विस्तृत चर्चा की गई।
इस आयोजन में शिक्षाविदों, छात्रों और हिंदी प्रेमियों की एक बड़ी संख्या ने हिस्सा लिया, जिन्होंने विभिन्न सत्रों में अपनी राय और सुझाव दिए। समापन सत्र में डॉ. माधव राजवाड़े ने इस कार्यक्रम की सार्थकता और महत्त्व पर प्रकाश डाला, और आने वाली पीढिय़ों के लिए इस तरह के संवादों को महत्वपूर्ण बताया । यह आयोजन शिक्षा, संस्कृति और भाषा की दृष्टि से एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित हुआ और भविष्य में इस प्रकार के संवादों को बढ़ावा देने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
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(Udaipur Kiran) यादव