HimachalPradesh

तुर्की से सेब आयात पर रोक की मांग, हिमाचली बागवानों ने राज्यपाल के माध्यम से पीएम को भेजा ज्ञापन

शिमला, 20 मई (Udaipur Kiran) । तुर्की से सेब आयात पर रोक लगाने की मांग को लेकर हिमाचल प्रदेश के बागवानों का विरोध लगातार तेज होता जा रहा है। सोमवार को हिमाचल प्रदेश संयुक्त किसान मंच के प्रतिनिधिमंडल ने शिमला स्थित राजभवन में राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल से भेंट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में तुर्की से सेब के आयात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है।

संयुक्त किसान मंच के अध्यक्ष हरीश चौहान ने कहा कि तुर्की से आयातित सेब देश के स्थानीय उत्पादकों के लिए गंभीर चुनौती बन गए हैं। खासकर हिमाचल, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर जैसे पहाड़ी राज्यों के बागवानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। चौहान ने कहा कि तुर्की के सेब भारतीय बाजार में कम दाम पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं जिससे घरेलू सेब की मांग और कीमत दोनों प्रभावित हो रही हैं।

उन्होंने कहा कि यह केवल आर्थिक ही नहीं बल्कि राष्ट्रहित से जुड़ा मुद्दा भी है। हाल ही में जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की स्थिति बनी थी। उस समय तुर्की ने पाकिस्तान का समर्थन करते हुए उसे ड्रोन तक मुहैया कराए। ऐसी स्थिति में तुर्की से आयात जारी रखना न केवल देश के किसानों के हितों के खिलाफ है बल्कि यह राष्ट्र की सुरक्षा और सम्मान से भी समझौता है।

संयुक्त किसान मंच ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि वह तुर्की के सेब आयात पर तुरंत प्रतिबंध लगाए ताकि देश के बागवानों को राहत मिल सके और स्थानीय उत्पादों को संरक्षण दिया जा सके। संगठन का कहना है कि जब तुर्की भारत के विरोध में खड़ा है, तो उसके उत्पादों को भारतीय बाजार में स्थान नहीं मिलना चाहिए।

ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया है कि यदि सरकार ने समय रहते कदम नहीं उठाया तो देशभर के बागवानों को आंदोलन तेज करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। मंच ने यह भी चेताया है कि विदेशी आयात की आड़ में घरेलू कृषि अर्थव्यवस्था को बर्बाद नहीं होने दिया जाएगा।

राज्यपाल ने प्रतिनिधिमंडल की बात को गंभीरता से सुना और उन्हें भरोसा दिलाया कि बागवानों की मांग को उचित माध्यम से केंद्र सरकार तक पहुंचाया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि तुर्की से आयातित सेब पिछले कुछ वर्षों से भारतीय बाजारों में तेजी से अपनी जगह बना रहे हैं। कम कीमत और चमकदार पैकेजिंग के कारण ये सेब उपभोक्ताओं को आकर्षित कर रहे हैं। लेकिन इससे देश के पहाड़ी राज्यों में सेब की पारंपरिक खेती संकट में आ गई है।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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