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शिमला, 18 फ़रवरी (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि प्रदेश के विकास के लिए केंद्र सरकार से पूरा सहयोग मिल रहा है लेकिन राज्य सरकार को भी अपने अंशदान पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि पहाड़ी राज्यों के लिए 80 फीसदी बजट केंद्र से आता है और 20 फीसदी राज्यों को स्वयं जुटाना होता है। ऐसे में राज्य सरकार को अपनी आर्थिक योजनाओं और संसाधनों पर भी फोकस करना जरूरी है।
राज्यपाल मंगलवार को राजभवन में अपने दो वर्ष के कार्यकाल की पूर्णता के उपलक्ष्य पर आयोजित पत्रकार वार्ता में बोल रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने अपने कार्यकाल पर आधारित कॉफी टेबल बुक भी लॉन्च की।
केंद्रीय विश्वविद्यालय के निर्माण में देरी पर चिंता
केंद्रीय विश्वविद्यालय के निर्माण में हो रही देरी पर राज्यपाल ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इसके लिए 250 करोड़ रुपये की धनराशि केंद्र से प्राप्त हो चुकी है लेकिन अभी तक निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है। उन्होंने सुझाव दिया कि राज्य सरकार को केंद्र से सहयोग प्राप्त करने के साथ ही अपने हिस्से के अंशदान और कार्यान्वयन में भी तेजी लानी चाहिए।
आपदा के दौरान हुए नुकसान पर केंद्र से अपेक्षित सहयोग न मिलने के आरोपों पर राज्यपाल ने स्पष्ट किया कि आपदा के समय केंद्र और राज्य सरकार के आकलन में अंतर था फिर भी प्रदेश सरकार को अपनी बात केंद्र के समक्ष प्रभावी ढंग से रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र से तालमेल बनाकर ही प्रदेश को आगे बढ़ाया जा सकता है।
‘नशा हटाओ, हिमाचल बचाओ’ अभियान को मिलेगा आंदोलन का रूप
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने हिमाचल में बढ़ते नशे के खतरे को देखते हुए इसे समाप्त करने के लिए ‘नशा हटाओ, हिमाचल बचाओ’ अभियान को जन आंदोलन का रूप देने की अपील की। उन्होंने कहा कि जब मैं राज्यपाल बना, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नशे के खिलाफ काम करने के निर्देश दिए थे। उसी के तहत मैंने प्रदेश में नशा उन्मूलन अभियान की शुरुआत की।
उन्होंने स्पष्ट किया कि नशे के विरुद्ध यह अभियान राजनीति से परे रहकर चलाया जाएगा और इसमें सभी वर्गों, राजनीतिक दलों, पंचायती राज संस्थाओं और शिक्षण संस्थानों को सक्रिय भागीदारी निभानी होगी। उन्होंने कहा कि जब तक नशे की डिमांड खत्म नहीं होगी, तब तक इसकी आपूर्ति भी नहीं रुकेगी।
राज्यपाल ने सभी राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे नशे के खिलाफ इस अभियान को राजनीति से दूर रखें और इसे हिमाचल बचाओ नशा भगाओ आंदोलन के रूप में अपनाएं। उन्होंने कहा कि नशे के खिलाफ काम में राजनीति नहीं होनी चाहिए तभी देवभूमि को नशे के दलदल से निकाला जा सकेगा। राज्यपाल ने कहा कि नशा उन्मूलन अभियान को सफल बनाने के लिए जन जागरूकता और सामाजिक सहभागिता बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि यह अभियान अब आंदोलन का रूप लेगा और इसके लिए समाज के सभी वर्गों का सहयोग आवश्यक है।
अपने दो साल के कार्यकाल को लेकर राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने संवैधानिक मर्यादाओं और पद की गरिमा को बनाए रखते हुए कार्य किया है। उन्होंने विश्वास जताया कि आगे भी वे इसी निष्ठा और ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते रहेंगे।
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने भावुकता के साथ कहा कि अब हिमाचल मुझे अपने घर जैसा लगता है। उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए संवैधानिक दायित्वों के निर्वहन और देवभूमि की सांस्कृतिक परंपराओं की रक्षा के संदेश को अपनी कार्यशैली का मूलमंत्र बताया।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
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