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रामगढ़, 17 जनवरी (Udaipur Kiran) । रामगढ़ जिले के परित्यक्त आरा कोल खदान में संचालित केज कल्चर परियोजना का निरीक्षण हिमाचल प्रदेश के निदेशक मत्स्य पालन विवेक चंदेल ने किया। उनके साथ सहायक निदेशक मत्स्य पालन, रामगढ़ जिला मत्स्य पदाधिकारी डॉ. अरूप चौधरी, मुख्य अनुदेशक डॉ. प्रशांत कुमार दीपक, मत्स्य कृषक शशि कुमार एवं उनके सहयोगी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
यह परियोजना राज्य योजना और डीएमएफटी (जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट) फंड के तहत संचालित की जा रही है। इस परियोजना का उद्देश्य परित्यक्त जल क्षेत्रों का उपयोग करके मछली उत्पादन बढ़ाना और स्थानीय समुदायों को रोजगार के अवसर प्रदान करना है।
निदेशक ने केज कल्चर की प्रक्रिया, रखरखाव, संचालन, और मछलियों के विपणन (बिक्री) से संबंधित व्यवस्थाओं का अवलोकन किया। परियोजना से जुड़े किसानों के साथ संवाद किया गया और उनके अनुभवों व सुझावों को समझा गया। निदेशक ने इस परियोजना की सराहना करते हुए इसे अन्य राज्यों में लागू करने के लिए मॉडल परियोजना के रूप में प्रस्तुत करने की बात कही।
यह परियोजना राज्य सरकार की योजना और डीएमएफटी फंड के तहत संचालित है। राज्य प्रायोजित योजना जल क्षेत्रों के बेहतर उपयोग के माध्यम से मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करती है। डीएमएफटी योजना खनन प्रभावित क्षेत्रों के विकास के लिए परित्यक्त जल क्षेत्रों को उत्पादक संसाधनों में परिवर्तित करने का कार्य कर रही है।
इस परियोजना से मछली उत्पादन में वृद्धि होगी। केज कल्चर के माध्यम से जल क्षेत्रों का अधिकतम उपयोग हो रहा है। मत्स्यपालन से किसानों और युवाओं को रोजगार और आय के अवसर प्राप्त हो रहे हैं। किसानों को नई तकनीकों का प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। परित्यक्त जल क्षेत्रों को उपयोग में लाकर सतत विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है।
हिमाचल प्रदेश के निदेशक मत्स्य पालन विवेक चंदेल ने कहा कि यह परियोजना परित्यक्त कोल खदानों के जल क्षेत्रों के प्रभावी उपयोग और रोजगार सृजन का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने इसे अन्य राज्यों में लागू करने की सलाह दी। साथ ही स्थानीय किसानों की भागीदारी की सराहना की। यह परियोजना रामगढ़ जिले में राज्य योजना और डीएमएफटी योजना के सफल क्रियान्वयन का एक प्रेरणादायक उदाहरण है।
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(Udaipur Kiran) / अमितेश प्रकाश
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