HimachalPradesh

हिमाचल किसान सभा ने राज्य स्तरीय अधिवेशन में की अवारा पशुओं और जंगली जानवरों पर चर्चा

धर्मशाला, 6 सितंबर (Udaipur Kiran) । हिमाचल किसान सभा की राज्य कमेटी द्वारा जंगली जानवरों, आवारा पशुओं से उत्पन्न समस्या व भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर धर्मशाला के खनियारा में राज्य स्तरीय अधिवेशन आयोजित किया गया। इस अधिवेशन में प्रदेश भर के अलग-अलग जिलों से 200 के करीब किसान प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

इसमें राज्य अध्यक्ष डा. कुलदीप तनवर, राज्य उपाध्यक्ष कुशाल भारद्वाज, राज्य सचिव होतम सोंखला और कांगड़ा जिला के अध्यक्ष सतपाल ने भी अपने विचार रखें। सभी जिलों के कुल 30 सदस्यों ने अपने जिला की तरफ से चर्चा में हिस्सा लिया, तथा उपरोक्त समस्याओं बारे अपने अनुभव सांझा किए। अधिवेशन में प्रस्ताव पारित कर सरकार से मांग की गई कि जंगली जानवरों व बेसहारा पशुओं की समस्या से किसानों को निजात दिलाई जाए।

अधिवेशन में प्रस्ताव पारित कर समस्याओं के समाधान के लिए प्रदेश भर में अभियान चलाने का निर्णय लिया गया। इसके लिए हर जिला व लोकल स्तर पर अधिवेशन आयोजित किए जाएंगे तथा गांव गांव हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा। 25 सितंबर को हिमाचल प्रदेश के किसान जंगली जानवरों के मुद्दे पर संसद घेरने दिल्ली जाएंगे। 30 सितंबर को जिला व उपमंडल पर सरकार को ज्ञापन दिए जायेंगे। एक से दस दिसंबर तक उपमंडल व खंड स्तर पर पर धरने दिए जाएंगे। मांगें न माने जाने पर शीतकालीन सत्र में विधान सभा मार्च किया जाएगा।

राज्य अध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह तनवर ने कहा कि जंगली जानवरों व बेसहारा पशुओं की समस्या प्रदेश भर के किसानों की सबसे बड़ी समस्या बन गई है और कोई भी सरकार इस समय के समाधान के लिए गंभीर नहीं है। जंगली जानवरों के कारण प्रदेश में हर साल लगभग 2300 करोड़ रुपए का नुकसान होता है।। प्रदेश के 10 लाख से अधिक किसानों को 400-500 करोड़ रुपए का नुकसान होता है।

उन्होंने कहा कि बंदरों के निर्यात पर लगी रोक हटनी चाहिए। बंदरों व दूसरे उत्पाती जंगली जानवरों को वर्मिन घोषित कर उनको मारने के लिए वन विभाग के माध्यम से सिद्धस्त शिकारी हायर किए जाएं। उन्होंने कहा कि किसानों के कब्जे वाली जमीन को को नियमित किया जाए, तथा किसानों के खिलाफ किसी भी बेदखली अभियान को किसान सभा सहन नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि भूमिहीनों को कम खेती बागवानी के लिए जमीन दी जाए तथा हर भूमिहीन को घर बनाने के लिए जमीन दी जाए।

(Udaipur Kiran) / सतिंदर धलारिया

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