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केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति ने विभिन्न राज्यों में आपदा शमन के लिए 3027.86 करोड़ रुपये की मंजूरी दी

नई दिल्ली, 29 जनवरी (Udaipur Kiran) । केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति ने बुधवार को विभिन्न राज्यों में आपदा शमन के लिए 3027.86 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है।

केन्द्रीय गृह मंत्रालय में बुधवार को एक बयान जारी कर बताया कि केन्द्रीय वित्त मंत्री, कृषि मंत्री और नीति आयोग के उपाध्यक्ष की सदस्यता वाली इस समिति ने 10 राज्यों के ऐसे 50 जिलों में बिजली गिरने के जोखिम को कम करने के लिए बिजली सुरक्षा पर शमन परियोजना पर विचार किया जो बिजली गिरने की घटनाओं से सबसे अधिक प्रभावित हैं। साथ ही, उच्च स्तरीय समिति ने सबसे अधिक सूखा प्रभावित 12 राज्यों के 49 जिलों को उत्प्रेरक सहायता प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय आपदा शमन निधि (एनडीएमएफ) से फंडिंग के प्रस्तावों पर भी विचार किया।

उच्च स्तरीय समिति ने सबसे अधिक सूखा प्रभावित 12 राज्यों को उत्प्रेरक सहायता के लिए 2022.16 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय वाली परियोजना को मंजूरी दी है, जिसमें केन्द्र सरकार का हिस्सा 1200 करोड़ रुपये होगा। जिन 12 राज्यों के लिए यह धनराशि मंजूर की गई है उनमें आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश शामिल हैं।

समिति ने 10 राज्यों में कुल 186.78 करोड़ रुपये की लागत से बिजली सुरक्षा पर शमन परियोजना को भी मंजूरी दी है। इन 10 राज्यों में आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने 19 राज्यों के उच्च प्राथमिकता वाले 144 जिलों में 818.92 करोड़ रुपये के कुल व्यय के वन अग्नि प्रबंधन हेतु शमन परियोजना को भी मंजूरी दी है। जिसमें से राष्ट्रीय आपदा शमन निधि (एनडीएमएफ) और राष्ट्रीय आपदा मोचन कोष (एनडीआरफ) का केन्द्रीय हिस्सा 690.63 करोड़ रुपये होगा। परियोजना का प्राथमिक उद्देश्य देश में जंगलों में लगने वाली आग की घटनाओं के प्रबंधन के दृष्टिकोण को बदलने और ‘बेहतर तरीके से पुनः निर्माण करें’ के प्रयासों के लिए शमन परियोजना को लागू करना है। आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मणिपुर, महाराष्ट्र, मिजोरम, मध्य प्रदेश, मेघालय, नगालैंड, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तराखंड जंगलों में आग लगने की घटनाओं में कमी लाने, जंगलों में आग लगने पर उनसे निपटने की तैयारियों के साथ-साथ आग के बाद के आकलन और स्थिति को सामान्य बनाने के लिए आवश्यक गतिविधियों को अंजाम देने को लेकर अपने-अपने प्रस्ताव पेश करेंगे।

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(Udaipur Kiran) / सुशील कुमार

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